नई दिल्ली : चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए इतनी हड़बड़ी किस लिए मचाई गई जबकि लगभग 15 मई से वैकेंसी लंबित थी | केंद्र सरकार ने गुरुवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति संबंधी फाइल सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को भेजी थी फाइल देखने के बाद कोर्ट ने केंद्र को फटकारते हुए कहा कि, चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में ऐसी कोन सी अर्जेंसी आ गई थी कि एक ही दिन में सारा काम पूरा करके नियुक्ति दे दी गई | इतनी तेज़ी से नियुक्ति देने के पीछे कारण क्या हैं ? जिस दिन एप्लिकेशन दी उसी दिन क्लियरेंस दी गई और उसी दिन प्रधान मंत्री नें कहा कि वह अमूक नाम प्रस्तावित कर रहे हैं लेकिन यहां तो सारा काम एक ही दिन में पूरा कर लिया गया और नियुक्ति भी दे दी गई |मानते हैं कि कुछ कामों में तेज़ी बरतनी चाहिए लेकिन बिना हड़बड़ी किए हुए सोच समझकर नियुक्ति देना थी | इस फैसले को लेकर जस्टिस जोसेफ ने कई सवाल उठाए, वह बोले हम आपके इस ढांचे और प्रक्रिया को लेकर चिंतित हैं, आप किसी के नाम का चयन किस आधार पर करते हैं ? आपने लिस्ट में से 4 नाम किस आधार पर छाँटे ? अपने यह सूची बनाई कैसे ? कोई दिसंबर में रिटायर होने वाला था जिन चार नामों कि सिफ़ारिश की गई थी उसमें से चयनीत व्यक्ति सबसे कम उम्र का हैं आपने यह चयन कैसे किया हम जानना चाहते हैं ? अटार्नी जनरल बोले- हमने भी सारी प्रक्रयाओं का पालन किया हैं अगर हम हर नियुक्ति पर संदेह करते हैं तो, निर्वाचन आयोग की प्रतिष्ठा पर प्रभाव पड़ता हैं | किसी भी व्यक्ति चुनाव आयुक्त बनाए जाने पर उसकी पूर्व की सेवा से सेवानिवृत माना जाता हैं |
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