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पुलिस और प्रशासन के अफसरों की लापरवाही के चलते मिलावटखोरी के मामलों मैं की गई गलत कार्यवाही 80 प्रतिशत दोषी हुए बरी

भोपाल :  ( सैफुद्दीन सैफी ) पिछले तीन साल में मिलावटी दूध और दूध से बनी चीजों को लेकर सख्त कार्रवाई की गई हैं | मिलावट को खत्म करने के लिए बहुत से अभियान भी चलाए गए | मगर कवायत प्रशासन की अदालत पहुँचते ही इसमे भी अफसरो और इंस्पेक्टरों ने कार्यवाही की मिलावट कर दी    जिसके चलते मिलावटखोरी के मामले खत्म होने के बजाए और बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके पीछे का कारण पुलिस और प्रशासन  की बड़ी लापरवाही हैं पुलिस ने गलत धाराओं में केस दर्ज किए और कलेक्टरों ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नियमों का पालन नहीं किया इसका नतीजा यह हुआ कि मिलावटखोरी करने वाले 75 आरोपी रिहा हो गए | कलेक्टरों ने मिलावटखोरों पर रसुका तो लगा दी, लेकिन कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया | समय रहते राज्य और केंद्र सरकार को एनएसए की सूचना भी नहीं दी, पुलिस को ठीक से रिपोर्ट बनानी थी और कलेक्टर द्वारा  शासन को सही समय पर रिपोर्ट भेजनी थी | तीन साल में जिन 87 आरोपियों को मिलावट के मामलों में एनएसए लगाकर जेल भेजा, उनमें करीब 86 फीसदी कोर्ट से बरी हो गए, पुलिस और कलेक्टर की  छोटी – छोटी कमियों का फायदा अपराधियों को मिलता रहा, यदि इसी तरह मिलावटी सामान और मिलावटी दूध पर रोक नहीं लगी तो 2025 तक भारत में 87% लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं |  पुलिस और प्रशासन को लापरवाही छोड़ मिलावटखोरों के लिए कड़ी कार्रवाई करना चाहिए |

भोपाल :  ( सैफुद्दीन सैफी ) पिछले तीन साल में मिलावटी दूध और दूध से बनी चीजों को लेकर सख्त कार्रवाई की गई हैं | मिलावट को खत्म करने के लिए बहुत से अभियान भी चलाए गए | मगर कवायत प्रशासन की अदालत पहुँचते ही इसमे भी अफसरो और इंस्पेक्टरों ने कार्यवाही की मिलावट कर दी    जिसके चलते मिलावटखोरी के मामले खत्म होने के बजाए और बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके पीछे का कारण पुलिस और प्रशासन  की बड़ी लापरवाही हैं पुलिस ने गलत धाराओं में केस दर्ज किए और कलेक्टरों ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नियमों का पालन नहीं किया इसका नतीजा यह हुआ कि मिलावटखोरी करने वाले 75 आरोपी रिहा हो गए | कलेक्टरों ने मिलावटखोरों पर रसुका तो लगा दी, लेकिन कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया | समय रहते राज्य और केंद्र सरकार को एनएसए की सूचना भी नहीं दी, पुलिस को ठीक से रिपोर्ट बनानी थी और कलेक्टर द्वारा  शासन को सही समय पर रिपोर्ट भेजनी थी | तीन साल में जिन 87 आरोपियों को मिलावट के मामलों में एनएसए लगाकर जेल भेजा, उनमें करीब 86 फीसदी कोर्ट से बरी हो गए, पुलिस और कलेक्टर की  छोटी – छोटी कमियों का फायदा अपराधियों को मिलता रहा, यदि इसी तरह मिलावटी सामान और मिलावटी दूध पर रोक नहीं लगी तो 2025 तक भारत में 87% लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं |  पुलिस और प्रशासन को लापरवाही छोड़ मिलावटखोरों के लिए कड़ी कार्रवाई करना चाहिए |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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