नई दिल्ली जो लोग यह सोचकर सुकून में हैं की हमने तो दिल्ली एम्स में इलाज कराया ही नही हमे भला साइबर अटैक से कोन सा नुकसान होने वाला हैं तो यह बात जान ले कि अगर आप कभी भी बीमार हुए होंगे और आपका इलाज किसी भी दूसरे अस्पताल में चला होगा, तो जान ले कि दूसरे अस्पताल भी साइबर हमले की जद में हैं | क्योंकि कई बार अंदरूनी सिस्टम की कड़ियां भी इंटरनेट के माध्यम से बाहरी सिस्टम से जुड़कर अलग-अलग हो सकती हैं |ऐसे में सबसे ज़रूरी बात यह हैं कि उस स्थिति मे आप क्या कर सकते हैं ? या ऐसा होने से पहले क्या करना चाहिए ? दरअसल देश में डेटा प्रोटेक्शन बिल अभी लागू नहीं हुआ हैं | ऐसे में कानूनी रूप से आपके हाथ बंधे हैं पर कहीं भी इलाज कराएं, तो उसकी डेटा सिक्योरिटी के बारे मे जानकारी लेना आवश्यक हैं | सरकार को चाहिए कि जल्द डेटा प्रोटेक्शन बिल लाएं संस्थानों के लिए साइबर सिक्योरिटी अनिवार्य करें |
एम्स ने 3 गलतियां करके खुद को संकट में डाल लिया हैं |
1: कमजोर बैकअप: एम्स के ऑनलाइन सिस्टम में मजबूत बैकअप होता तो 1-2 दिन में ही चीज़ें ट्रैक पर आ जाती |
2: डिजास्टर रिकवरी धीमी: 23 नवंबर को साइबर अटैक हुआ था 8 दिन बाद भी मशीनें चालू नहीं हो पाई यानि रिकवरी धीमी गति से की गई |
3: चुप्पी साध लेना : एम्स को यह बताना था कि क्या क्या डेटा चोरी हुआ हैं और यह किस तरह खतरनाक हैं पर वह चुप रहा |