भोपाल :( नुजहत सुल्तान ) बिलाबांग स्कूल की घटना के बाद शहर के 12 से अधिक स्कूलों ने बसों को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़कर उसका एक्सेस अभिभावकों को दिया हैं | इसमें बस किस समय निकली और कहां पहुंची, सारी जानकारी मोबाइल पर दिखाई देती हैं ड्राइवर का नंबर भी शो होता हैं | पेनिक बटन भी हैं, प्राइवेट बसें और वैन में यह सिस्टम नहीं हैं आयोग इसको लेकर सख्ती कर रहा हैं | राजधानी के करीब 60% स्कूल बसों के ड्राइवर कंडक्टर और केयर टेकर का पुलिस वेरिफेकेशन नहीं हुआ हैं | दरअसल शहर में अभी 100 से ज़्यादा सीबीएसई स्कूल, 400 से अधिक एमपी बोर्ड, प्राइवेट स्कूल हैं, जिनमें बसें और वैन बच्चों के परिवाहन के लिए चल रही हैं इनमें से केवल 40 फीसदी स्कूलों के पास ही उनके यहां काम करने वाले बस ड्राइवर, कंडक्टर, और केयर टेकर का पुलिस वेरिफिकेशन हैं इसके लिए आयोग ने पहले भी कई बार शिक्षण संस्थाओं, ज़िला शिक्षा अधिकारी को सूचित किया हैं इसको लेकर मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नाराजगी जताते हुए आयोग ने सभी स्कूलों से जवाब मांगा हैं कि उनके यहां कितनी बसें चल रही हैं और आयोग ने बसों के लिए अप्वाइंट ड्राइवर, कंडक्टर और केयर टेकर का भी पूरा बायोडेटा मांगा हैं |
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