उज्जैन : मामला विश्वविद्दालय की भू-विज्ञान ( भौमिकी ) अध्यनशाला से जुड़ा हैं कुछ गलत दस्तावेज़ तैयार करने के मामले में माधवनगर पुलिस ने अध्यनशाला के प्रोफेसर डॉ. एसके मांजू के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर उन्हें 18 फरवरी 2017 को गिरफ्तार किया था | विक्रम विश्वविद्दालय की प्रशासन ने मांजू की गिरफ्तारी के बाद उन्हे सस्पेंड कर दिया था और सस्पेंडसर लेटर में डॉ. मांजू को सस्पेंड की तारीख में किसी दूसरे विभाग में न जोड़े जाने से भू-विज्ञान अध्यनशाला ही उनका मुख्यालय बन गया | जिस दिन से उन्हें सस्पेंड किया गया था तब से वह विश्वविद्दालय में एक बार भी उपस्थित नहीं हुए फिर भी विश्वविद्दालय प्रशासन द्वारा उन्हें 1 लाख 14 हज़ार रुपए हर महीने भेजे जा रहे हैं | टैक्स व अन्य कटौती के बाद उन्हे प्रतिमाह 83 हज़ार 494 रु. का भुगतान हो रहा हैं | इस तरह बिना कोई काम और बिना उपस्थिती के ही विश्वविद्दालय प्रशासन पांच साल में डॉ. मांजू को लगभग 55 लाख रुपए का भुगतान कर चुका हैं | इधर, कुलसचिव का कहना हैं कि निलंबित कर्मचारी को जीवन निर्वाह के लिए भत्ता देना आवश्यक हैं जबकि विश्वविद्दालय परिनियम पर गोर करे तो उसमें निलंबित कर्मचारी को अवकाश की भी पात्रता नहीं हैं |
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