भोपाल : देशभर में कई तरह की संदिग्ध फर्म चलाई जा रही हैं जांच के दायरे में आईं राजधानी के दो फर्मों के मालिकों ने नकली दस्तावेज़ तैयार करवाकर जीएसटी का पंजीयन लिया था | जबकि इन फर्मों ने कोई कारोबार नही किया फिर भी लाखो रु. के टैक्स क्रेडिट ट्रांसफर कर दिए | यह फ़र्मे रमेश ट्रेडर्स और संजय इंटरप्राइजेस थी, जो पुराने भोपाल के पते पर पंजीकृत थी इन फर्मों ने अपने कारोबार के बारे में लिखा था कि कबाड़ का काम हैं और कबाड़ का काम करने वाली फर्मो का तर्क होता हैं कि वह अधिकतर माल फेरी लगाने वाले लोगो से लेते हैं फेरि लगाने वाले पंजीकृत नहीं होते इस कारण उन्हें टैक्स की जानकारी नहीं रहती कि कितना टैक्स बनेगा और इन दोनों फर्मों ने सिर्फ टैक्स क्रेडिट ट्रांसफर करने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई यह टैक्स क्रेडिट किस माल की बिक्री से लिया गया हैं यह नहीं बताया पते के लिए फार्मो ने बिजली बिल लगा दिए इसलिए जांच मे जब बिजली विभाग की मदद ली तो पता चला कि जो बिल लगाए गए थे उसमें लिखा हुआ पता बदला गया हैं जो पता बताया गया वह कहीं था ही नहीं पते में सिर्फ एक इलाक़े का नाम लिखा था जिसके जरिये बिजली विभाग का वहाँ तक पहुँचना असंभव था इसलिए इस काम मे एटीएस की सहायता ली गई | यदि वाणिज्यिक कर विभाग नाम और पते की सही ढंग से जांच करते तो नकली दस्तावेज़ों से कारोबारी जीएसटी पंजीयन कभी नहीं ले सकते थे | ट्रांसफर क्रेडिट के आधार पर जब जीएसटी विभाग ने इन्हें नोटिस भेजकर गलत ढंग से ली गई टैक्स क्रेडिट वापस करने को कहा तो समय बीतने के बाद भी जब फर्मों की तरफ से न तो टैक्स क्रेडिट वापस हुई और न ही नोटिस का कोई जवाब आया इसी के चलते इन फर्मो पर संदेह जताया गया था जीएसटी विभाग ने केंद्रीय जांच एजेंसियों के कहने पर मामला एटीएस को सौंपा हैं |
|