चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में पति की अपील को रद्द किया हैं जिसमें पति अपनी पत्नी जो उससे अलग हो गई हैं और उसके बच्चे भी पत्नी के पास हैं यदि पति उसे जीवन यापन के लिए गुजारा भत्ता नहीं देता हैं, या एक ही बार में 3 या 4 लाख रुपए देता हैं, जबकि पति बिसनेसमेन हैं तो यह गलत हैं | उसकी आय के अलग-अलग स्त्रोत हैं ऐसे में पति वन टाइम सेटलमेंट की आड़ में खर्चा देने से इंकार नहीं कर सकता ऐसे ही एक मामले में जस्टिस अमरजोत भट्टी ने फैसले में कहा कि 13 साल पहले हुए समझौते में पति ने पत्नी और दो बच्चों के लिए एक-एक लाख रुपए कुल तीन लाख रुपए के साथ 1500 रु. प्रति माह किराया देने पर सहमति दी थी वर्तमान समय में पत्नी प्राइवेट नौकरी से रिटायर हो चुकी हैं, बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं | ऐसे में गुज़र बसर न होने पर पत्नी पति से खर्चा लेने के लिए कोर्ट में दावा कर सकती हैं, पति को उसको गुज़ारा भत्ता देना पड़ेगा |
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