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धर्मांतरण को लेकर बस्तर में बढ़ी हिंसा : दो आदिवासी वर्ग के लोग एक दूसरे के लिए बने घातक, धर्म परिवर्तन करने वालों की कब्रें उखाड़ीं |

छत्तीसगढ़ : बस्तर ज़िले में दो अलग-अलग आदिवासी वर्ग के लोग हैं जिनमें एक देवी-देवताओं को पूजते हैं और दूसरे चर्च जाते हैं | इन्हीं दोनों के बीच आपसी लड़ाई चल रही हैं | हालात इतने बिगड़ गए हैं कि जिन्होने पहले धर्म परिवर्तन कर लिया था, उनकी लाशों को गाँव में दफनाने नहीं दिया जा रहा और जो पहले दफन हैं उनकी कब्रे उखाड़ी जा रही हैं | आदिवासियों को डर हैं कि जिस तेज़ी से लोग अपना धर्म बदल रहे हैं ऐसे मे तो हमारी संस्कृति खत्म हो जाएगी | इसी कारण धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों को गाँव से बाहर निकाला जा रहा हैं अविश्वास इतना बढ़ गया हैं कि मीडिया और पुलिस से भी लगातार झड़प हो रही हैं | इसी झड़प में नारायणपुर के एसपी का सिर फूटा था, इस हिंसा के चलते लोग परेशान हो रहे हैं कई परिवारों को तो चर्च में शरण दी गई हैं किराए के मकानों में भी कुछ लोगों को रखा गया हैं | जो आदिवासी चर्च जा रहे हैं उन्हें परेशान किया जा रहा हैं | जो लोग चर्च जाने लगते हैं उनका सब कुछ छीन लिया जाता हैं, ऐसे ही एक परिवार के सदस्य 2019 से चर्च जा रहे थे लेकिन अब गाँव के आदिवासियों ने उनसे नाता तोड़ लिया हैं, और उनके गाय, भैंस, बकरा, बकरी सब कुछ छीन लिया हैं | इसी तरह एक और परिवार को चर्च जाने के कारण गाँव वालों ने  पानी देना बंद कर दिया गाँव वाले कहते हैं कि वह लोग हमारे साथ रहने  योग्य नहीं हैं | बांसगांव की 11 वर्षीय सीमा बताती हैं पहले उसके साथ स्कूल के सब बच्चे खेलते थे लेकिन अब दो साल से मैं चर्च जाने लगी तो बच्चों ने मेरे साथ खेलना बंद कर दिया हैं | 18 दिसंबर की लड़ाई के बाद तो स्कूल भी छूट गया हैं | 60 साल की बुधन का कहना हैं कि शादी होकर जब में यहां आई थी तब महज 15 साल की थी, 45 साल तक सबसे बहुत अच्छा रिश्ता रहा 4 साल से चर्च जाने लगी तो सबने मुझसे रिश्ता तोड़ दिया कहती हैं महेश मैरे ही परिवार का हैं लेकिन उसने मेरी ज़मीन, खेती-बाड़ी सब छीन ली,  और कहता हैं जहां जाना हैं जाओ | पहले इन  वर्गों में आपसी सामंजस्य था जिससे  दोनों वर्ग मिलजुल कर रहते थे लेकिन आज हमारी परंपरा खतरे में पड़ गई हैं हम ऐसी कोई भी कोशिश  कामयाब नहीं होने देंगे जिसके कारण हमारी संस्कृति नष्ट हो |      

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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