भोपाल :( नुजहत सुल्तान ) बड़े ही अफसोस की बात हैं कि जो माता-पिता अपने बच्चों को अपने सीने से लगाकर रखते हैं खुद रातभर जागकर उन्हें चैन की नींद सुलाते हैं, खुद परेशानी उठाकर बच्चों की हर ख़्वाहिश पूरी करते हैं, वही बच्चे बड़े होकर उनको घर से बाहर कर देते हैं | पुलिस द्वारा चलाए गए आशा अभियान के तहत हर दिन 3 से 4 बुजुर्गों को सड़क से उठाकर वृद्धाश्रम में भेजा जाता हैं, लेकिन इन दिनों बेघर बुजुर्गों की संख्या अधिक होने के कारण शहर के लगभग सभी वृद्धाश्रम हाउसफुल हो चुके हैं | शहर में तीन नि:शुल्क और तीन पेड वृद्धाश्रम हैं, इनमें मुफ्त वाले ओवरफ्लो हो रहे हैं राजधानी मे पहला वृद्धाश्रम करीब 28 साल पहले खुला था, जब से लेकर अभी तक ऐसी स्थिति कभी नहीं बनी | शहर के सभी आश्रमों में महिलाओं की लगभग सीटें भर चुकी हैं वहीं पुरुषों की कुछ सीटें खाली हैं राजधानी के वृद्धाश्रम फुल होने के कारण बुजुर्गों को दूसरे जिलें भेजना पड़ रहा हैं | वृद्धाश्रमों के फुल होने की दो बड़ी वजह सामने आई हैं, एक तो शहर में अधिक संख्या में बुजुर्गों का घर छोड़कर वृद्धाश्रम मे आना और दूसरी पुलिस की चलाई गई आशा योजना में सड़क से उठाकर बुजुर्गों का पुनर्वास होना | डीसीपी विनीत ने बताया कि जिनका परिवार नहीं मिल रहा हैं उन्हें वृद्धाश्रम भेजा जा रहा हैं भोपाल में वृद्धों को रखने की जगह नहीं होने के कारण उन्हें शिवपुरी में शिफ्ट किया जा रहा हैं | हाल ही मे छह बुजुर्गों को एडमिशन दिया हैं, फिर भी कुछ बुजुर्ग अभी वेटिंग में हैं आसरा में महिला बेघरों की संख्या बढ़ने से यहां उनकी भर्ती बंद कर दी हैं |
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