नई दिल्ली : दिल्ली के कोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं कि यदि कोई बच्चा आर्थिक स्थिति ठीक न होने पर अगर परीक्षा फीस नहीं भरता हैं तो उसे परीक्षा देने से नहीं रोका जाएगा और खासकर के 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के बच्चों को परीक्षा देने से रोकना संविधान के अनुच्छेद का उल्लंघन करना हैं | जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा कि परीक्षा से रोककर बच्चे का भविष्य खराब नहीं कर सकते | कोर्ट ने कहा कि शिक्षा वह नींव हैं जिस पर बच्चे का भविष्य बनता हैं | ऐसे मे बच्चे को बीच सेशन में परीक्षा से निकालना गलत होगा हम ऐसा नही होने दे सकते | द इंडीयन स्कूल ने फीस न देने पर 10वीं के एक बच्चे का नाम काट दिया था, उसके पिता ने इसे कोर्ट में चुनौती दी | इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पुष्करणा ने छात्र को बोर्ड परीक्षा देने की अनुमती दी थी | कोर्ट ने कहा बच्चे को शैक्षणिक सत्र के बीच प्रताड़ित नहीं कर सकते, कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को रोल नंबर देकर परीक्षा देने दें | कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी निजी गैर – सहायता प्राप्त स्कूल को ऐसे बच्चे को रखने पर मजबूर नहीं कर सकते जो फीस देने में असमर्थ हैं उन्हें परीक्षा देने से वंचित नहीं कर सकते |
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