इंदौर : 20 साल पहले फरवरी 2003 मे तत्कालीन महापौर परिषद के सदस्य, निगम अधिकारियों ने मेघदूत उपवन को विकसित करने के नाम पर कागजी योजना बनाई | उपवन का निर्माण 80 के दशक मे इंदौर विकास प्राधिकरण ने किया था | कैलाश विजयवर्गीय जब महापौर बने तो आईडीए ने गार्डन नगर-निगम को सौंप दिया था | इसके बाद निगम ने ढाई करोड़ रु. खर्च करना बताया लेकिन इतना रुपया विकास पर खर्च नही हुआ सरकार की अनुमति के बिना ही अलग-अलग कार्य करवाकर 33 लाख 60 हज़ार 322 रु. की क्षति पहुंचाई | लोकायुक्त पुलिस द्वारा 2015 में कोर्ट में चालान पेश किया था, आरोपियों ने जमानत याचिका लगाई थी सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी को एक लाख रु. की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके पर रिहा कर दिया था | इसके बाद चालान का ट्रायल चल रहा था, अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे मंगलवार को जारी किया गया और मेघदूत उपवन घोटाले में भ्रष्टाचार निवारण मामलों की विशेष अदालत ने मंगलवार को पूर्व पार्षद, नगर-निगम के अधिकारियों सहित 10 लोगों को 3- 3- साल की सज़ा सुनाई हैं | उनमें से कुछ आरोपियों की मृत्यु हो चुकी हैं सभी निगम अधिकारी रिटायर हो गए हैं | अधिकांश आरोपी कोर्ट परिसर में उपस्थित थे जिन्होने उसी समय जमानत के लिए आवेदन लगा दिया हैं |
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