भोपाल :( नुजहत सुल्तान ) रेसिडेंशियल और कमर्शियल स्कीम्स में उजागर हुई गड़बड़ी बीडीए की बड़ी लापरवाही के चलते किसानों के प्लाट खरीदने वाले लोगो को बड़ा नुकसान भुगतना पड़ सकता हैं | मालिकाना हक़ को लेकर अदालतों मे सिविल विवाद भी खड़ा हो सकता हैं | बीडीए को बिना नामांतरण प्रापर्टी की खरीद बिक्री का अधिकार नहीं था फिर भी बिना नामांतरण ही किसानों के करीब 3360 प्लाट बेच डाले | इन प्लाट को बेचने से पहले बीडीए को किसानों की ज़मीन को अपने नाम पर नामांतरण करवाना था इसके बाद ही प्लाट की खरीद बिक्री का अधिकार उसे मिलता | ये गड़बड़ी तब सामने आई जब एयरोसिटी स्कीम मे 122 डुप्लेक्स बनाने के लिए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) से बात की रेरा ने इन प्लाटों के दस्तावेज़ मांगे जो बीडीए के पास नहीं थे, बीडीए के अफसरों ने किसानों के साथ की गई अन्य ज्वाइंट वेंचर (जेवी) स्कीम के नामांतरण की जानकारी निकलवाई | तब पता चला कि एयरोसिटी, राजभोज, मिसरोद फेस – 1,और 2 में भी ज़मीन अब भी किसानों के ही नाम पर हैं | इन चारों स्कीमों मे किसानों के 7785 प्लाट हैं जबकि डेवलपमेंट कॉस्ट के बदले में बीडीए को मिले प्लाट की संख्या 6387 हैं | इन चारों जगह पर बीडीए ने किसानों से करार किया हैं इसके तहत बीडीए किसानों की जमीन को डेवलप करता हैं, प्लाट का नामांतरण न करवाना बीडीए के स्तर पर बड़ी लापरवाही और अनियमितता हैं | अब बीडीए किसानों को इंडिविजुअल नोटिस जारी कर नामांतरण करवा रहा हैं इसके अलावा अपने द्वारा बेचे गए प्लाट की सूची भी संबंधित तहसीलदारों और नगर-निगम को दे रहे हैं | ताकि प्रॉपर्टी टैक्स सहित अन्य कर संबंधित से ही लिए जाएं |
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