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जीवदया गोशाला में गायों के साथ हुए अत्याचार और गायों के गायब होने के मामले में प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं, ख़ुदाना खरीदी का भी रिकॉर्ड गायब |

भोपाल :( नुजहत सुल्तान )  जीवदया गोशाला में गायों के साथ हुए अत्याचार और अव्यवस्थाओ के बारे में प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं इस गोशाला में गोवंश के खाने के लिए भूसा नहीं था, उन्हें सुखी घास खिलाई जाती रही जिस टंकी से वह पानी पीती थी उसमें काई जमी हुई थी और उसमें गंदगी भरी थी | जहां उन्हें रखा जाता था वहाँ गोबर और कीचड़ भरा रहता था | भूख प्यास से तड़पकर मरने वाली गायों को गोशाला से आधा किलोमीटर दूर फेंका जाता था, यहां मृत गोवंश के शव और कंकाल पड़े मिले गोवंश के शवों का निष्पादन सही ठंग से नहीं किया जा रहा था | इस मामले का खुलासा जीवदया गोशाला की जांच करने वाली 7 सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में हुआ हैं | इस रिपोर्ट में गायों के शव से चमड़ी और हड्डियों को बेचे जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली हैं | जांच रिपोर्ट में सामने  आया हैं कि बीते साल 2022 में नगर-निगम ने शहर से 3769 गोवंश को पकड़ा जिन्हें पहले कांजी हाउस में रखा गया और उसके बाद समय-समय पर नगर-निगम की गोसंवर्धन परियोजना के माध्यम से शहर की अलग-अलग गोशालाओं में भेजा गया | इनमें सबसे ज़्यादा 2234 गोवंश तो अकेले जीवदया गोशाला को दिए गए | पशु पालन विभाग की और से गोशालाओं को प्रति गाय 20 रुपए का अनुदान दिया जाता हैं | इसमें गायों की देखरेख के लिए प्रति गाय 15 रुपए के हिसाब से पैसा गोशाला संचालक को दिया जाता हैं | इसके अलावा बाकी 5 रु. के हिसाब से बजट गोवंश को खिलाया जाने वाला सुदाना की खरीदी के लिए सीधे कंपनी को दिया जाता हैं | साल 2022 में जीवदया को सुदाना खरीदी के लिए 17 लाख से अधिक राशि दी गई थी, लेकिन जीवदया प्रबंधन सुदाना खरीदी का पूरा रिकॉर्ड नहीं दे पाया |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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