भोपाल (सैफुद्दीन सैफ़ी)
हर शासकीय कार्यलयों में कर्मचारियों और अधिकारियों से सभ्यता पूर्वक कार्यलय में बैठने और जनता के साथ मर्यदित आचरण की अपेक्षा की जाती है। प्रदेश में मुख्यमंत्री भी आप जनता से सरकारी अधिकारियों के के सभ्य आचरण करने के लिए समय समय पर निर्देश देते रहते है। इस सबके बावजूद लगता है, गवर्मेन्ट प्रेस में पदस्थ अधिकारियों ने शायद खुद को ही गवर्मेन्ट समझ लिया है? इसलिए न तो इनको बात करने की तमीज़ है, और न ही कुर्सी पर कैसे बैठा जाता है इसका आभास?
गौर तलब है गवर्मेन्ट प्रेस में उप नियंत्रक के पद पर पदस्थ लॉरेंस रोबर्टसन्स जो कि लोक सूचना अधिकारी का भी काम देखते है जिनको सूचना के अधिकार के तहत आवेदक दुआरा मांगी गई जानकारी को एक निश्चित समय सीमा में प्रदान करनी होती है मगर ये लॉरेंस रोबर्टसन्स अपने को लॉट साहब से कम नही समझते इन्हें न तो सूचना के अधिकार के नियमो का ज्ञान है न ही उसकी गंभीरता समझते है ।दूसरी इनकी खूबी ये है कि ये कुर्सी पर टांगे चौड़ी करके बैठने में अपनी शान समझते है। एक जानकारी के अनुसार अपनी पारिवारिक मुकदमे बाजी से ये इतने कुंठित और त्रस्त रहते है, कि इनके चेम्बर में आने वाले आगंतुक से इनको कैसा बर्ताव करना चाहिए इसका इनको जरा भी आभास नही इनके बैठने का तरीका इतना असभ्यता पूर्ण है जबकि इनके ही चेंबर के बाहर एक महिला चपरासी इनकी घंटी सुनने के लिए बैठती है कल्पना कीजिए कि जब वो इनके चेम्बर में जाती होगी तब उसको कितना असहज फील होता होगा ?
आशा की जाती है कि खबर के बाद गवर्मेन्ट प्रेस के नियंत्रक चंद्रशेखर विलियम अपने अधीनस्थ अधिकारियों को तहज़ीब और तमीज़ के कुछ दिशा निर्देश जारी करेंगे?