नई दिल्ली : ऐतिहासिक शहरों के नाम बदलने के लिए आयोग बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए तल्ख टिप्पणी दी, कोर्ट ने कहा कि “आक्रांताओं के इतिहास को खोदकर वर्तमान और भविष्य के सामने नहीं रख सकते कोई देश अपने अतीत का गुलाम नहीं रह सकता हमें आगे बढ़ना हैं | कोर्ट ने कहा हमारा देश धर्म निरपेक्ष हैं और हिन्दू धर्म जीवन जीने का तरीका हैं इसमें कट्टरता नहीं हैं | इतिहास अभी के लोगों में गलत भावनाएँ पैदा नहीं करेगा सब धर्म एक समान हैं भेदभाव नहीं होना चाहिए प्राचीन काल में केरल के हिन्दू राजाओं ने चर्च के लिए ज़मीन दी देश का इतिहास समझने की जरूरत हैं | कोर्ट ने याची से कहा ये मुद्दे उठाकर आप चाहते हैं कि देश उबलता रहे, याची ने कहा, विदेशी शासकों ने रामायण- महाभारत काल के नाम बदल दिए इस पर पीठ ने कहा देश को आक्रांताओं ने हानि पहुंचाई, इस सच को इतिहास से कैसे हटा सकते हैं ? अतीत में जो हो चुका हैं उसे चाहकर भी नहीं बदल सकते | जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, हिन्दू धर्म सबसे बड़ा धर्म हैं हिन्दू धर्म की मान्यता उसे उदार बनाती हैं हमें हिन्दू धर्म पर गर्व होना चाहिए इस महान परंपरा और धर्म को कम नहीं समझना चाहिए | वह बोले मैं ईसाई धर्म का हूँ लेकिन हिन्दू धर्म का प्रशंसक हूँ उन्होने बताया मैं हिंदू धर्म पर अध्ययन कर रहा हूँ उन्होने याची से कहा आपने अपनी याचिका मे समुदाय विशेष को बर्बर बताया है | पर हमें संविधान और सभी वर्गों की रक्षा करनी चाहिए याचिकाकर्ता की इस दलील पर कि दिल्ली में लोधी, औरंगजेब के नाम पर सड़कें हैं, पांडवों के नाम पर नहीं हैं, कोर्ट ने कहा धर्म का सड़कों के नाम से कोई लेना देना नहीं हैं, आप ऐसी याचिका से उन बातों को फिर शुरू करना चाहते हैं जिन्हें दबाना या भुला देना उचित हैं | अतीत को इस तरह मत कुरेदिए कि अशांती पैदा हो इसके बाद याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस लेने और गृह मंत्रालय को ज्ञापन देने की अनुमति मांगी हालांकि कोर्ट ने इससे मना कर उनकी अर्जी खारिज कर दी |
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