भोपाल : ( नुजहत सुल्तान ) बिजली की दरें हर महीने बढ़ाने को लेकर सरकार ने जो प्रस्ताव जारी किया हैं आयोग उसे मानने के लिए बाध्य नहीं हैं | जिस तरह तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दाम हर रोज़ घटाती बढ़ाती हैं उसी तर्ज़ पर अब बिजली कंपनियां भी हर महीने बिजली का फ्यूल कास्ट चार्ज घटा या बढ़ा सकेंगी इस मामले में मंगलवार को विद्दुत नियामक आयोग में सुनवाई के दौरान में आपत्ति दर्ज कराई गई हैं | बिजली संविधान के शेड्यूल 7 में समवर्ती सूची में हैं | आयोग किसी भी आदेश को मानने को बाध्य नहीं इसलिए हर महीने बिजली के दाम नहीं बढ़ाए जा सकते | दरअसल केंद्र सरकार ने विद्दुत नियम 2005 में एक संशोधन किया हैं, इसमें हर महीने फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट तय करने का काम बिजली कंपनी के जिम्मे ही करने का प्रावधान कर दिया हैं | इसका नाम बदलकर एफसीए की जगह फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजस्टमेंट सरचार्ज कर दिया गया हैं | रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल ने आपत्ति जताते हुए इसे विद्दुत अधिनियम का उल्लंघन भी करार दिया उन्होने कहा कि पहले विद्दुत अधिनियम 2003 की धारा 62 (4) में बदलाव करना होगा फिर यह संशोधन किया जा सकता हैं | ऐसा किए बिना ही प्रस्ताव तैयार कर लिया गया उन्होने कहा कि यदि यह प्रस्ताव मंजूर किया गया तो आयोग साल मे एक बार टैरिफ निर्धारित करेगा, लेकिन बिजली कंपनी सालभर में 12 बार संशोधन करेगी | ऐसा होने से नियामक आयोग का महत्व खत्म हो जाएगा और 2003 के पहले जैसी स्थिति हो जाएगी |
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