भोपाल : भोपाल में करीब 2 हज़ार सहकारी गृह निर्माण सोसायटी में से 25% से अधिक यानि 550 संस्थाएं प्रशासकों के भरोसे चल रही हैं इनके लिए सहकारिता विभाग के पास सिर्फ 15 ही अधिकारी हैं, जिन पर इन समितियों की ज़िम्मेदारी हैं प्रशासकों के पास ज़्यादा अधिकार भी नही हैं ऐसे मे ये न तो कोई निर्णय ले पाते हैं और न ही सोसायटी के लिए समय दे पा रहे हैं | इस कारण सोसायटी में नीतिगत निर्णय संबंधी सभी काम रुके हुए हैं इसका फायदा भूमाफिया उठा रहे हैं | वहीं संस्थाओं के पात्र सदस्य रजिस्ट्री कराने तक के लिए परेशान हो रहे हैं, दूसरी तरफ पुरानी समिति के पदाधिकारी मनमानी करके अपनों को फायदा पहुंचा रहे हैं | प्रशासक नियुक्त होने के बाद सोसायटी में कोई काम नहीं हो सकता, यानि सोसायटी जिस स्थिति में होती हैं, उसी स्थिति में रहती हैं प्रशासक सिर्फ पानी, बिजली, की व्यवस्था करता हैं | अधिकार नहीं होने से नीतिगत कार्य जैसे रजिस्ट्री, एनओसी, नए सदस्य बनाना, किसी को निकालना, कार्य व्यवस्था और टीएनसीपी के कार्य नहीं हो पाते हैं | सोसायटी के चुनाव होने तक प्रशासक प्रभारी के रूप में काम करते हैं | सहकारी संस्था चुनाव कराने की बात तो करती है लेकिन होता कुछ भी नहीं हैं 30 से 35 साल पुरानी इन सोसायटी में आज तक प्लॉंट के मसले नहीं सुलझ पाए हैं | गौरव गृह निर्माण सोसायटी को लेकर पिछली विधानसभा में सवाल लगने के बाद जांच की गई, सामने आया की प्रशासक नियुक्ति के दौरान ही वहां पर दो रजिस्ट्री हुईं और उसके बाद 16 और रजिस्ट्री हो गई | जबकि विवेक दीक्षित जैसे प्राथमिक सदस्य अब भी प्लॉंट के लिए भटक रहे हैं |
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