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कचरा प्रोसेसिंग के नाम पर निगम के अफसरों और वर्क ऑर्डर लेने वाली कंपनी के बीच मिलीभगत के चलते करोड़ो का नुकसान |

भोपाल : ( नुजहत सुल्तान ) आदमपुर छावनी में कचरा प्रोसेसिंग का काम 6 साल पहले मेसर्स नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्योरमेंट प्रोसेसिंग एंड रिटेलिंग को ऑपरेटिव ऑफ इंडिया को मिला था, हाल ही मे महालेखाकार के अफसरों द्वारा किए गए नगर-निगम भोपाल के ऑडिट में सामने आया हैं कि यहां बिना यूनिट लगे ही कागजों पर कचरे की प्रोसेसिंग होना दिखा दिया गया हैं और भुगतान भी हो गया हैं | रिपोर्ट बताती हैं कि 6 साल मे प्रोसेसिंग के नाम पर निगम के अफसरों और वर्क ऑर्डर हासिल करने वाली कंपनी के बीच मिलीभगत के चलते करोड़ों का घाटा हुआ हैं | ऑडिट रिपोर्ट बताती हैं कि निगम अफसरों ने 27 सितंबर 2018 को कचरा प्रोसेसिंग के लिए वर्क ऑर्डर जारी किया, लेकिन इसके चार दिन बाद ही कागजों पर दिखा दिया कि कंपनी फुल कैपेसिटी से 400 मीट्रिक टन कचरा रोज़ प्रोसेस कर रही हैं, जबकि यहां प्रोसेसिंग मशीनें नवंबर में लगाने का ऑर्डर हुआ था | इतना ही नहीं बल्कि इसका नवंबर के पहले का भुगतान भी हो गया हैं | अब सवाल यह उठता हैं कि जब मशीनें लगी ही नहीं तो कचरा कैसे प्रोसेस होने लगा ? उधर निगम ने प्लांट के बिजली कनेक्शन के लिए 6 अक्टूबर को बिजली विभाग को पत्र लिखा था, जबकि प्लांट मे मशीनें 11 नवंबर के बाद लगाने का ऑर्डर जारी किया गया | इसके अलावा कंपनी ने 1 अक्टूबर 2018 से 22 नवंबर 2020 के बीच जितना कचरा प्रोसेस किया इसमें से 5% खाद का कम आकलन करने व कम रेट निर्धारित करने से निगम को करीब 1 करोड़ से अधिक राशि का नुकसान हुआ |    

 

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