भोपाल : प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा समय समय पर मेक इन एमपी और मेक इन इंडिया के उत्पादों की तारीफ करने व उनके बनाए गए उत्पादों की खरीदी बढ़ाने के मामले में ज़ोर देने के बाद भी विभिन्न सरकारी विभाग उनकी नीतियों की अवहेलना कर रहे हैं | इसका असर यह होगा कि जो उद्दोग थोड़ा बहुत रोजगार अपनी यूनिटों को देना चाहते हैं वे नहीं दे पाएंगे इससे जहां मेक इन एमपी और मेक इन इंडिया की मुहिम को झटका लग रहा हैं, वहीं औद्दोगिक यूनिटें और उसके संचालक भी खासे हतोत्साहित हो रहे हैं, इसकी बड़ी वजह केंद्र सरकार के जेम से विभागीय कामकाज के लिए विभिन वस्तुओं की खरीदी में ऐसी शर्ते जोड़ना हैं जो टॉप फाइव ब्रांड में आती हैं | इस कारण कुछ एमएसएमई संचालक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की इन नीतियों से परेशानी में हैं | खास बात यह भी हैं कि पुलिस हेड क्वार्टर ( पीएचक्यू ) के बाद राज्य शिक्षा केंद्र ( आरएसके ) ने भी केंद्र सरकार की अधिकृत खरीदी एजेंसी जेम की शर्तों में नियम विरुद्ध शर्ते जोड़कर खरीदी की हैं | जबकि सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ( सीवीसी ) तक की एक दम स्पष्ट गाइड लाइन यह हैं कि जेम की शर्तों में अन्य शर्ते नहीं जोड़ें | इस मामले में भारत सरकार का डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्रीज भी विदेश सर्विस संस्था इंटरनेशनल डेटा कार्पोरेशन ( आईडीसी ) के सर्वे में शामिल टॉप - 5 ब्रांड्स संबंधी शर्तों को नहीं मानता इसके बाद भी प्रदेश सरकार के विभाग ही केंद्र सरकार के (डीपीआईआईटी) के आदेश को दरकिनार कर खरीदी में टॉप – 5 ब्रांड्स संबंधी शर्ते मोखिक रूप से जुड़वा रहे हैं | प्रदेशभर में एक मात्र खरीदी का ऑर्डर मुरैना की एक फर्म को दिया गया था, लेकिन बाद मे उसे भी यह कहकर कैंसिल करवा दिया गया कि उसके द्वारा दिए जाने वाले कंप्यूटर टॉप- 5 ब्रांड्स में नहीं आते |
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