भोपाल :( नुजहत सुल्तान ) प्रदेश में करीब 1000 अस्पताल आयुष्मान योजना के दायरे में हैं इसमें 542 निजी हैं इनमें से 70 अस्पतालों को जांच के दायरे में रखा गया हैं इन अस्पतालों में फर्जी मरीजों के आधार पर बिलिंग कराई गई, मरीज आयुष्मान रजिस्टर्ड होने के बाद भी नगद राशि ली गई | सर्दी जुकाम जैसी मामूली बीमारी को गंभीर बीमारी बताकर भर्ती रखा गया सर्दी जुकाम जैसी बीमारी का इलाज किया गया जबकि पैसा दूसरी बीमारी का लिया गया मरीजों का इलाज करने से मना किया गया ऐसे मामले मिलने पर अस्पताल संचालकों कों नोटिस भेजकर जवाब मांगा हैं | वहीं ऐसे अस्पताल जहां फर्जी मरीजों और फर्जी कार्ड के आधार पर इलाज किया गया उनके खिलाफ राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी हैं | अब निजी अस्पतालों के संचालकों ने 15 अप्रैल से आयुष्मान योजना के नए मरीजों का इलाज नहीं करने की बात कही हैं | जबकि योजना में इलाज कराने वाले मरीजों के इलाज पर खर्च होने वाली 75% राशि निजी अस्पतालों के खातों में पहुँच रही हैं | अस्पताल संचालकों का आरोप हैं कि गलती कुछ अस्पताल कर रहे हैं और मरीजों का इलाज होने पर हर अस्पताल का भुगतान रोका जा रहा हैं | योजना के तहत मरीज का इलाज करने के 30 दिन के अंदर भुगतान हो जाना चाहिए लेकिन, 300-300 दिन बीतने के बाद भी राशि नहीं मिल रही है | मरीजों के इलाज में खर्च हुई राशि करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक बकाया हैं | निजी अस्पतालों के संचालक 15 अप्रैल से भोपाल सहित प्रदेशभर के अस्पतालों में जहां आयुष्मान योजना लागू हैं वहां पर इलाज की सुविधा एक साथ बंद करने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं, संचालकों को यह आशंका हें कि यदि सिर्फ कुछ अस्पतालों ने इलाज देने से मना किया तो राज्य सरकार उनके खिलाफ आयुष्मान भारत योजना के तहत कार्रवाई कर सकती हैं | लेकिन यदि एक साथ सभी ने इलाज की सुविधा रोक दी तो कार्रवाई से बचा जा सकता हैं |
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