भोपाल : मप्र में सड़कों पर लागत से ज़्यादा टोल वसूलने के मामले में 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा है | 24 नवंबर 2022 को सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत के तर्क सुनने के बाद राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव और मप्र सड़क विकास निगम के एमडी को तलब करते हुए नोटिस जारी किया था | जिस पर 23 मार्च और 1 जनवरी को सरकार की और से कोई जवाब पेश नही किया गया था | इस मामले में राज्य सरकार के वकील एडिशनल एडवोकेट जनरल सौरभ मिश्रा का कहना हे कि टोल मामले में नोटिस मिला है जवाब तैयार कर समय सीमा में पेश कर देंगे | गौरतलब है कि लागत से अधिक टोल वसूलने के मामले को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने रद्द कर दिया था, जिसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी | जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए सरकार के 7 दिन में जवाब न देने पर एक तरफा सुनवाई करने का फैसला लिया है | एक फैसला पहले आ चुका है मंदसौर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन बनाम मप्र शासन 2001 के सुप्रीम कोर्ट प्रकरण 38 के फैसले में साफ है कि टोल से लागत, ब्याज व अन्य खर्च प्राप्त हो गया हो तो उसका उपयोग लंबे समय तक जनता से टोल वसूली के लिए नही किया जा सकता | अभी सड़कों पर लागत से ज़्यादा टोल वसूली हो रही है जो गैरकानूनी रिकवरी है |
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