नई दिल्ली :( नुजहत सुल्तान ) सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला लिया कि यदि पति-पत्नी के बीच आपसी मतभेद के कारण कोई रिश्ता न रहे तो तलाक के लिए 6 महीने का इंतज़ार करना ज़रूरी नहीं हैं | सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए फैसले में कहा कि ऐसा करना सार्वजनिक नीति और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी नही होगा | पीठ ने कहा कि विवाह भंग में 6 महीने की प्रतीक्षा अवधि को पिछले निर्णयों में निर्धारित शर्तों के अधीन किया जा सकता हैं | लेकिन ये अवधी अनिवार्यता नहीं होगी | सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवास मामले में दिया हैं | दो जजों की बेंच में सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठा था कि क्या हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि को खत्म किया जा सकता हैं ? इसके बाद संविधान पीठ गठित की गई | फैसले में स्पष्ट किया कि विवाह भंग की विभिन्न अर्जियों पर आए मामले में संविधान की व्याख्या इस आदेश के ज़रिए की गई हैं, कोई भी पक्ष अनुच्छेद 32 के तहत विवाह भंग के मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी नहीं दे सकता |
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