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स्कूलों में 30 अप्रैल तक 90 लाख में से महज 14 लाख बच्चों को ही यूनिफ़ार्म बांटी तीन सालों में अफसरों ने किया 200 करोड़ रु. का घोटाला |

भोपाल : सरकारी स्कूलों में बच्चो को दिए जाने वाली यूनिफ़ार्म 30 अप्रैल तक 90 लाख बच्चों को बांटनी थी, नियमों के तहत पावरलूम से यूनिफ़ार्म का कटा हुआ कपड़ा लेकर महिला स्वसहायता समूहों में सिलवाकर बच्चों को देना था , लेकिन इस नियम को दरकिनार रख प्राइवेट वेंडर्स से घटिया क्वालिटी की यूनिफ़ार्म लेकर बंटवा दी | प्रत्येक यूनिफ़ार्म के लिए 260 रुपए लिए और खरीदी की महज 120 से 130 रु. की इस तरह प्रति यूनिफ़ार्म पर 130 रु. की गड़बड़ी हुई | 90 लाख बच्चों मे से महज 14 लाख बच्चों को ही यूनिफ़ार्म मिल पाई | अफसरों की लेटलतीफी के कारण 76 लाख बच्चों को यूनिफ़ार्म नहीं मिल पाई | इस गड़बड़ी की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुँच गई है, इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने पूरे मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया है | तीन सालों मे 200 करोड़ रु. से अधिक की गड़बड़ी उजागर हुई है तीन साल की बात करें तो 2020-21 में बच्चों के लिए 1.17 करोड़ यूनिफ़ार्म की 350 करोड़ में खरीदी की जानी थी, लेकिन 73 लाख ही बांटी गई | 44 लाख यूनिफ़ार्म 2 सितंबर 2021 तक नहीं बंट पाई इनकी कीमत 120 करोड़ रुपए थी, वहीं 2021-22 में यूनिफ़ार्म की सप्लाई नहीं हो पाई तो सीधा बच्चों के पालकों के खातों में पैसा डाल दिया गया | इस मामले मे राज्य शिक्षा केंद्र में वित्त नियंत्रक पंकज मोहन का कहना है कि हमने तो वित्तीय वर्ष के हिसाब से राशि जारी की थी, राष्ट्रीय आजीविका मिशन ने अगले साल के लिए कैसे जारी की, पता करवाएंगे | आजीविका मिशन मे मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलएम बेलवाल से जब यह पूछा गया कि 17 नवंबर को यूनिफ़ार्म सिले जाने की योजना तैयार हो गई थी तो 15 फरवरी से 29 मार्च के बीच राशि समूहों के लिए जारी क्यों की गई इस पर उनका जवाब था कि सब नियम के हिसाब से हुआ है |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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