नई दिल्ली : तीन तलाक को लेकर अब केंद्र सरकार ने तलाक के कई अन्य तरीकों के गलत इस्तेमाल पर शिकंजा कसा तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए इससे मिलते-जुलते कई तरीके जैसे तलाक - ए - अहसल तलाक- ए- हसन और तलाक- ए- बाइन के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार एक लीगल फ्रेमवर्क तैयार कर रही है | यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुका है | सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति दे चुकी है | अब केंद्र सरकार को जवाब दायर करना है | सरकार तलाक के अलग-अलग तरीकों में काजी की मंजूरी से पूरी होने वाली प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती | सरकार का मक़सद सिर्फ प्रक्रिया को बेहतर करना है, ताकि तलाक के अन्य तरीकों का दुरुपयोग न हो सके | इसलिए सरकार कानून बनाने के बजाए कुछ दिशा-निर्देश तय कर सकती है | जैसे, तलाक के समय गवाह कौन था ? तारीख व समय क्या था ? तरीका क्या था ? कारण क्या था ? ऐसी सभी प्रमुख जानकारियां किसी सरकारी प्लेटफॉर्म पर डालने का नियम बनाया जा सकता है तलाक - ए – हसन में पति हर महीने एक बार तलाक बोलता है इस अवधि में समझौता हो जाता है, तो तलाक रद्द हो जाती है अगर ऐसा नहीं होता है तो तीसरे महीने रिश्ता खत्म हो जाता है | तलाक- ए- अहसन में पति पहले महीने पत्नी को तलाक बोलता है, और वे तीन महीने साथ रहते हैं, इस तलाक के बाद पति-पत्नी दोबारा निकाह भी कर सकते हैं | तलाक-ए- बाइन में एक बार बोलकर तलाक दिया जाता है, यह तलाक बोलकर, लिखकर, या मैसेज के ज़रिए भी दिया जा सकता है, इसमें पति काजी की मौजूदगी में एक बैठक में या सार्वजनिक रूप से या लिखकर या मैसेज कर पत्नी को कहता है कि मैं तुमसे अलग हो रहा हूं |
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