भोपाल :( नुजहत सुल्तान ) सतपुड़ा भवन में लगी आग को बुझाने में 16 घंटे क्यों लगे इस बात को लेकर जब अफसरों से सवाल पूछे गए तो उन्होने हैरतअंगेज जवाब दिए | दो दिन गुज़र जाने के बाद भी सबको यह बात समझ नही आ रही है कि आग बुझाने में इतनी देरी किन कारणों से हुई, क्या फा यर सिस्टम फ़ेल हुआ, अमला ट्रेंड नहीं था या आग बुझाने के संसाधन ही नहीं थे ? अफसरों ने आग बुझाने में हुई देरी के लिए हवा और बिल्डिंग के डिजाइन को दोषी ठहराया | उनका कहना था कि हवा विपरीत दिशा में चल रही थी, इसके कारण प्रेशर से पानी आग तक नहीं पहुँच पा रहा था, मंजिल की ऊंचाई अधिक होने के कारण और ओपन स्पेस न होने से भी आग बुझाने में देरी हुई | कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि बिल्डिंग की डक्ट के ज़रिए आग तीसरे व चौथे तल पर साथ-साथ लगी थी, इतनी ही तेज़ी से ऊपर की मंजिलों तक पहुंची एक साथ सभी मंजिल पर आग के पहुँचने और ज्वलनशील सामग्री की अधिकता के कारण आग पर काबू पाने में देरी हुई | एयरपोर्ट डायरेक्टर रामजी अवस्थी बोले, हमारी टीम ने 7 हज़ार लीटर प्रति मिनट की रफ्तार से जर्मनी की रोजन वर्ग फायर टेंडर से फ़ोम सहित पानी का प्रेशर आग पर डाला था, पानी की सप्लाई का काम नगर-निगम और भेल की दमकलों ने किया हमारे लिए यहां चुनौती बिल्डिंग का डिजाइन बना क्योंकि सही पॉइंट पर पानी का प्रेशर पहुंचाने में परेशानी आ रही थी | प्रभारी कमिश्नर गौरव बैनल का कहना है कि आग ऐसे पॉइंट पर लगी थी, जिसे फायर फाइटर सिर्फ दो जगहों से ही कवर कर पा रहा था, हवा का रुख भी विपरीत दिशा में होने से आग बढ़ी और बिल्डिंग का डक्ट एरिया भी ऐसा था जिसके चारो तरफ दीवार थी इस कारण पानी का प्रेशर आग ताक नही पहुंचा, और आग ऊपरी मंजिलों तक पहुँच गई | एसीपी अक्षय चौधरी का कहना है कि उस समय हवा इतनी तेज़ थी कि हमारे फायर फाइटर जब नीचे से पानी का प्रेशर मार रहे थे तो पानी बौछार बनकर वापस आ रहा था | इससे पहले हमने तीसरी मंजिल की आग को काफी हद तक काबू कर लिया था लेकिन जब वह चौथी मंजिल पर पहुंची तो उसे हवा के कारण आग को काबू कर पाने में काफी दिक्कत आई |
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