भोपाल : तीन हज़ार करोड़ से अधिक के बहुचर्चित ई- टेंडर घोटाला मामले में 18 मई 2018 में प्राथमिक दर्ज कर जांच शुरू की गई थी, प्राथमिक जांच के बाद 10 अप्रैल 2019 को एफआईआर दर्ज की गई | प्रारंभिक चरण में इसे करीब 3 हज़ार करोड़ रु. का घोटाला माना गया है | जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू का मानना था कि प्रिक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर कुल 9 टेंडर से छेड़छाड़ की गई है | हार्ड डिस्क में टेम्परिंग की पुष्टि होने के बाद भी जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू यह पता नही लगा पाई है कि आखिर टेंडर में छेड़छाड़ किसने की थी | ईओडब्ल्यू का कहना है कि जांच जारी है पिछले महीने ही बीपीएन डेटा और बैकअप फाइल कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पोंस टीम (सर्ट इन) को भेजी है | इस मामले में सात आरोपी पहले भी सबूत न मिलने पर बरी हो चुके हैं, क्योंकि, जांच एजेंसी कोर्ट में ये बात साबित नही कर पाई कि छेड़छाड़ की किसने है | ईओडब्ल्यू ने 50 हार्ड डिस्क जब्त कर जांच के लिए सर्ट इन भेजे हैं | जांच एजेंसी भी अभी तक उन आरोपियों तक नही पहुंची है जिनके द्वारा टेंडर में टेम्परिंग की गई थी, जांच अभी जारी है | वहीं पुलिस भी इस घोटाले में क्लोज़र रिपोर्ट पेश करने की तैयारी में है |
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