भोपाल : 3/7/2023 :( नुजहत सुल्तान) राजधानी में बड़ा और छोटा तालाब सहित सात तालाब हैं, नगर-निगम के रिकॉर्ड में छोटे-बड़े 798 नाले हैं, यानि शहर में एक प्राकृतिक ड्रेनेज नेटवर्क मौजूद है | लेकिन शहर में बारिश में बाढ़ के हालात बनते हैं | शहर में बारिश का मौसम शुरू होते ही शहर के पॉश इलाकों के लोगों को भी अपनी कॉलोनी ही नही बल्कि, घरों में पानी भर जाने का डर सता रहा है | पहले कभी रेलवे स्टेशन के आसपास महामाई का बाग और आसपास की बस्तियों में नाव चलती थी, अब तो नई बसी हुई बस्तियों बावड़ियाकला की कॉलोनी इंडस गार्डन में भी यह स्थिति होती है | तेज़ बारिश में नाले में बहकर लोगों के डूबने की घटनाएं भी हो जाती हैं | पिछले दो दशक में शहर में सीवेज और ड्रेनेज नेटवर्क के सुधार पर लगभग 1200 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन हालात नहीं सुधरे | हर बारिश में वीआईपी रोड, बैरागढ़ से लालघाटी रोड, हमीदिया रोड, पुराना सैफिया कॉलेज रोड, भोपाल टाकीज़, नादरा बस स्टैंड चौराहा सहित अन्य इलाकों में पानी भर जाता है | सबसे ज़्यादा जलभराव वाले इलाकों में नाला निर्माण भी किया जा रहा है, बारिश में पानी जमा न हो इसके लिए अमला सतर्क है | लोगों से अपील है कि वे भी नालों को ढंकने के बजाय उसे खुला रखें ताकि पानी बह जाए | कॉलोनियों के निर्माण में भूमि विकास नियम का भी उल्लंघन हो रहा है, नियम यह है कि मकान सड़क से डेढ़ फीट ऊंचे होना चाहिए लेकिन सड़कें ऊंची होने के कारण भी घरों में पानी भर जाता है |
|