भोपाल : 8/7/2023 :( नुजहत सुल्तान ) कानून के उल्लंघन के साथ-साथ पद का दुरुपयोग करते हुए चार आईएएस अफसरों ने आदिवासियों की 500 करोड़ की जमीन का किया फर्जीबाड़ा | उन्होने आदिवासियों की ज़मीनें गैर आदिवासियों को बेच डाली | इस फर्जीबाड़े में कुछ आदिवासी भी शामिल थे, यह आदिवासी पहले छोटे-छोटे ग़रीब आदिवासियों की जमीन खुद खरीदते थे, फिर एक-डेढ़ साल बाद कभी आर्थिक तंगी और कभी जमीन के एक हिस्से को बंजर बताकर दूसरे हिस्से को उपजाऊ बनाने के लिए पैसे की जरूरत बताकर जमीन बेचने की मंजूरी का आवेदन अपर कलेक्टर के यहां लगाते थे | चारों ही अपर कलेक्टर बिना देरी के ज़मीनें बेचने के आदेश देते रहे | मप्र लैंड रेवेन्यू कोड की धारा का उल्लंघन कर ये जमीने बेची गई | अधिकतर जमीनों को जबलपुर निवासी मीना अग्रवाल के परिवार और सत्यपाल दरियानी के परिवार ने खरीदा था | इनको मंजूरी देने वाले चार आईएएस अफसर दीपक सिंह, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, बसंत कुर्रे और एमपी पटेल हैं | इनके खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है | चारों अफसर 2006 से 2011 के बीच जबलपुर जिले में अपर कलेक्टर के पद पर थे | इसी दौरान हेराफेरी कर आदिवासियों की जमीने बेची गई | करीब 50 हेक्टेयर से अधिक ज़मीनों का हस्तांतरण गैर आदिवासियों के नाम किया गया | मामले का खुलासा 2013 से 2015 के बीच आरटीआई के माध्यम से हुआ | इसी आधार पर 2015 में भोपाल निवासी भुवनेश्वर प्रसाद मिश्रा ने इसकी शिकायत लोकायुक्त में की थी लोकायुक्त की जबलपुर संभाग स्तरीय सतर्कता समिति इसकी जांच कर रही थी, इसी समिति ने जांच रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंपी थी | लोकायुक्त ने इस पूरे कांड को एक सुनियोजित षड्यंत्र और सामूहिक भ्रष्टाचार बताया |
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