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शहर में 342 करोड़ की लागत लगाकर सीवर लाइन बिछाते वक़्त पाइप के साइज व ढलान का नहीं रखा ध्यान |

भोपाल : 10/7/2023 :( नुजहत सुल्तान )   अमृत फेज-1 के तहत शहर के तालाबों और नदियों में जा रहे सीवेज को रोकने के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर तीन अलग-अलग पार्ट में सीवरेज नेटवर्क का काम हुआ | पहले तीन साल तक तो सड़कों की खुदाई और उनके  रेस्टोरेशन की खामियों के कारण लोग परेशान हुए अब सीवर लाइन और चैंबर परेशानी का कारण बने हुए हैं | दरअसल, शहर में 342 करोड़ रु. खर्च करके 400 किमी सीवर लाइन बिछाई गई है | लेकिन, स्थिति यह बनी हुई है कि बरसात का मौसम शुरू होते ही यहां चैम्बरों से गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है | कहीं चैंबर ऊपर तो कहीं जमीन में बिलकुल धँसे हुए हैं, नतीजा यहां एक्सीडेंट का खतरा रहता है | सबसे खराब स्थिति कोलार, सलैया, बावड़िया कला, चूना भट्टी और शाहपुरा जैसे क्षेत्रों में अधिक देखने को मिली हैं | सीवर लाइन में मेन होल का लेवल सड़क के लेवल पर होता है, यदि किसी कारण से चैंबर की हाइट अधिक आ रही है तो उसे सड़क के नीचे बनाया जाता है | मोटे तौर पर हर 30 मीटर की दूरी पर एक चैंबर होता है | चैंबर से गंदा पानी बाहर निकलने की वजह है चैंबर के ढक्कन टूटे हैं | सीवर लाइन और चैंबर का साइज तय करते समय बरसात के पानी की भी गणना की जाती है | नई बिछाई सीवर लाइन में जिस तरह से परेशानी आ रही है उससे लगता है कि नेटवर्क की डिजाइन में इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया है | लाइन बिछाते समय एक गलती ढलान का ध्यान नहीं रखने की भी है | ढलान इस तरह से तय होती है कि सीवेज का फ़्लो 2 फीट प्रति सेकंड होना चाहिए | नगर निगम कमिश्नर वीएस कोलसनी का कहना है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इन कमियों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं | जल्द ही इन सारी खामियों को दुरुस्त किया जाएगा | बरसात में आम लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए अमले को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं |  

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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