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90% मोबाइल यूजर्स में से सिर्फ 30% ही साइबर क्राइम के प्रति जागरूक हैं, इसलिए हो रहे सोशल मीडिया के ज़रिए जालसाजी का शिकार |

भोपाल : 18/7/2023 : (नुजहत सुल्तान ) भारत में बढ़ते साइबर अपराधों का बड़ा कारण सोशल मीडिया पर लोगों का अधिक सक्रिय रहना भी माना जा रहा है | क्योंकि आप जितना ज़्यादा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहेंगे साइबर क्राइम का खतरा उतना ही अधिक होगा | आज के समय में 90% लोग मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं | लेकिन उन्हें साइबर अपराधों के बारे में जानकारी ही नही है | और वह इंस्टाग्राम, अमेज़न, व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफार्म के ज़रिए धोखाधड़ी के जाल में फंस जाते हैं | इन सभी प्लेटफार्म का सर्वर विदेश में होने से इसकी तकनीकी विवेचना में काफी समय बर्बाद होता है | इन प्लेटफार्म के ज़रिए यदि कोई साइबर अपराध होता है तो भारत में बैठने वाली इन कंपनियों की टीम से मदद नहीं मिलती | इसलिए ऐसे प्लेटफार्म का उपयोग तभी करें जब इन साइबर क्राइम के प्रति जागरूक हो | कोरोना काल के बाद देश में साइबर अपराध में 70% तक बढ़ोतरी हुई है, इनमें से बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो लोग क्या कहेंगे सोचकर पुलिस के पास शिकायत नहीं करते | ब्लैकमेलिंग, वीडियो कॉल का शिकार हुए 95 % लोग भी बदनामी के डर से पुलिस में शिकायत नहीं करते | ये एक धोखा है जो किसी के साथ भी हो सकता है इसलिए ऐसे लोगों को भी खुलकर पुलिस से बात करनी चाहिए ताकि अपराधियों तक आसानी से पहुंचा जा सके | कंपनियां इनके डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर उनकी अलग प्रोफाइल तैयार कर लेती है, यानि लोगों द्वारा किए गए पोस्ट से उनकी पसंद न पसंद के बारे में जानकारी हासिल कर लेती हैं | वह रहते कहां हैं, काम क्या करते हैं, परिवार में कौन कौन है जैसी जानकारिया भी जालसाजों को पता चल जाती हैं फिर इन्हीं जानकारियों के आधार पर जालसाज सवाल करते हैं, और लोग उनके झांसे में आ जाते हैं | एक्सपर्ट का मानना है कि भारत को खुद का ब्राउज़र सर्वर बनाना बहुत ज़रूरी है, ताकि विवेचना की मुश्किलें आसान हो सकें | पैसा वापस करने की प्रक्रिया काफी जटिल है, 24 घंटे में पैसा वापस हो गया तो ठीक वरना ये कई दूसरे खातों में भेज दिया जाता है जहां से वापस मिलना मुश्किल होता है | प्रदेश में एक ही साइबर थाना है, जिसे हर जिले में बनाया जाना चाहिए | जो डील आपको लगे कि दुनिया की सबसे शानदार डील है, वह बड़ा फर्जीबाड़ा हो सकता है इसलिए अलर्ट रहना ज़रूरी है | लेकिन 90% मोबाइल यूजर्स में से महज 30% ही साइबर क्राइम के प्रति जागरूक हैं |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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