नई दिल्ली : 23/08/2023 : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( आईसीएमआर) की नई रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे कोविड मरीज जो पहली और दूसरी लहर के दौरान 14 दिन या उससे अधिक अस्पतालों में एडमिट रहे और उनके डिस्चार्ज होने के एक साल के अंदर ही उनकी मौतें हो गई थी, उनकी संख्या करीब 60 फीसदी है | हालांकि, इनमें कई मरीजों को मौत से पहले अन्य बीमारियां भी थी | आईसीएमआर से जुड़ी नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री फॉर कोविड -19 (एनसीआरसी) ने यह अध्ययन देश के 31 अस्पतालों के करीब 15000 कोविड मरीजों पर किया है | रिपोर्ट बताती है कि, ऐसे पेशेंट जो वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लगने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे | उन्हें वैक्सीन ने 60% सुरक्षा कवच दिया | एनसीआरसी ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद स्वस्थ हुए मरीजों से हर तीन-तीन महीने में संपर्क किया | फरवरी 2023 तक इनकी निगरानी की, आईसीएमआर की यह व्यापक स्टडी कई मायनों में अहम है, ये बताती है कि,एक बार छुट्टी होने के बाद दोबारा अस्पताल पहुंचने वालों में ऐसे लोगों की संख्या अधिक थी, जो किडनी या लीवर की बीमारियों जैसे गंभीर रोगों से पहले से ग्रस्त थे | इन लोगों को इन्फेक्शन से उबरने में भी ज़्यादा समय लगा | दूसरी बात, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में डिस्चार्ज के बाद बिना लक्षण वाले कोविड मरीजों की तुलना में तीन गुना ज़्यादा स्वास्थ्य जटिलताएं देखने को मिलीं | जैसे बार-बार तबीयत बिगड़ना, सांस फूलना, नींद की दिक्कत आदि | कोविड के बाद की जटिलताओं में आईसीएमआरने थकावट, सांस फूलना, याददाश्त में कमी आने और एकाग्रता कम होने को शामिल किया है | जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन्हें अपनी सूची में नहीं लिया था | इस स्टडी में आईसीएमआर ने कोविड से ठीक होने के चार हफ्ते बाद दोबारा अस्पताल पहुंचे मरीजों पर ज़्यादा फोकस किया है |
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