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खाद्द विभाग जिम्मेदारियों से परे : प्रदेश के 52 जिलों में खाद्द सुरक्षा के लिए परमानेंट डीओ नहीं, 12 साल से शासन सीएमएचओ एसडीएम या एडीएम को प्रभारी डीओ बनाकर काम चला रहा है |

भोपाल/इंदौर : 21/09/2023 : प्रदेश में 4 अगस्त 2011 को खाद्द अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 को समाप्त कर 5 अगस्त 2011 से खाद्द सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 लागू किया गया था | इसके तहत सभी श्रेणियों के व्यापारियों को पंजीयन करवाना अनिवार्य है | खाद्द सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत खाद्द पदार्थों के निर्माण, विक्रय, संग्रहण, भंडारण थोक और फुटकर व्यवसायी, हाकर, दूध डेयरी, मिष्ठन भंडार जैसे खाने पीने संबंधी सभी दुकानदारों को शामिल किया है | फूड लायसेंस, रजिस्ट्रेशन, इंवेस्टिगेशन और सैंपलिंग, कोर्ट केस जैसी खाद्द सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत की जाने वाली तमाम प्रकार की कार्रवाई के लिए हर जिले में परमानेंट डेजिग्नेटेड ऑफिसर होना जरूरी है | खाद्द सामग्री निर्माण स्थल पर प्रतिबंध की कार्रवाई करने की पॉवर भी डीओ की है | लेकिन भोपाल सहित प्रदेश के 52 जिलों में परमानेंट डीओ की नियुक्ति नहीं हो पाई है, 12 साल पहले से अधिनियम लागू होने के बाद से शासन नोटिफिकेशन कर सीएमएचओ, एडीएम या एसडीएम को प्रभारी डेजिग्नेटेड ऑफिसर बनाकर काम चला रहा है | एक्ट में प्रदेश स्तर पर इसके लिए अलग कमिश्नर का प्रावधान है, लेकिन विभाग के ही कमिश्नर को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है | इंदौर में एफएसएसएआई के तहत 5 अगस्त 2011 से अब तक करीब 75 हज़ार रजिस्ट्रेशन हुए और लायसेंस जारी हुए | इनमें से कुछ रजिस्ट्रेशन और लायसेंस एक्टिव हैं | ये लायसेंस परमानेंट डेजिग्नेटेड ऑफिसर के बगैर जारी होने के कारण एक्ट के प्रावधानों के लिहाज से अवैध ठहराए जा सकते हैं | अगर कोई व्यक्ति कोर्ट में परमानेंट डेजिग्नेटेड ऑफिसर द्वारा बनाए गए लायसेंस को लेकर चुनौती देगा तो लायसेंस लेने वाले लोगों पर कार्रवाई हो सकती है | इसके अलावा प्रदेश के 170 फूड इंस्पेक्टर हर महीने खाद्द सामग्रियों के 10 हज़ार से ज़्यादा सैंपल इकट्ठा करते हैं, इन्हें भी कोई कोर्ट में चुनौती देगा तो भी फूड इंस्पेक्टर द्वारा की गई कार्रवाई सवालों के घेरे में आ सकती है |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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