नई दिल्ली : 07/10/2023: शहर में हजारों केस ऐसे देखने व सुनने को मिलते हैं जिसमें पुलिस बिना कारण व्यक्ति को थाने में बिठाकर प्रताड़ित करती है, ऐसे में पीड़ित पुलिस के डर से कुछ कर भी नहीं पाता है | एक महिला और सब्जी वाले के झगड़े की सूचना देने पर पुलिस ने एक व्यक्ति को अवैध रूप से आधा घंटे तक थाने में बिठाया इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि, अफसरों ने उस व्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किए बिना मनमाने तरीके से काम किया उसे बिना कारण उठाया और आधा घंटे तक थाने में रखा उस व्यक्ति ने भले ही थोड़ा समय थाने में गुजारा लेकिन इससे वे अफसर बरी नहीं हो सकते, जिन्होने बिना प्रक्रिया का पालन किए ही उसकी स्वतंत्रता बाधित की | लेकिन अब दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिए हैं कि ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी जो अवैध रूप से व्यक्ति को थाने में बिठाते हैं | कोर्ट ने आदेश दिया है कि पुलिस उस व्यक्ति को 50 हज़ार रु. मुआवजा देगी क्योंकि एफआईआर दर्ज होने या फिर मजिस्ट्रेट द्वारा वारंट जारी करने के बाद ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है | कुछ मामलों में एफआईआर से पहले गिरफ्तारी हो सकती है जैसे वारदात को अंजाम देते समय अगर आरोपी पकड़ा जाए तब अरेस्ट मेमो में कारण बताना होता है | पुलिस बिना कारण थाने में बिठाए तो ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा ऐसा करने पर व्यक्ति पुलिस के खिलाफ कोर्ट में केस लगा सकता है | और कार्रवाई व मुआवजे की मांग भी कर सकता है | यदि वकील करने में कोई असमर्थ है तो विधिक सेवा प्राधिकरण निशुल्क वकील मुहैया कराता है | गिरफ्तारी जांच के लिए गाइडलाइंस तय है इनका पुलिसकर्मियों व मजिस्ट्रेट को पालन करना अनिवार्य है | ऐसा न होने पर कोर्ट की अवमानना का केस किया जा सकता है | उन्हें अधिकतम 6 महीने की जेल भी संभव है | महिला आरोपी को महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकती है, पुरुष पुलिसकर्मी गिरफ्तार करे तो अरेस्ट मेमो में कारण बताना होगा | सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं कर सकते | विशेष परिस्थिति में मजिस्ट्रेट का आदेश जरूरी है |
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