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सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से किया इनकर |

नई दिल्ली : 18/10/2023 :  मंगलवार को संविधान पीठ ने चार फैसले सुनाए | समलैंगिक विवाह को मान्यता न देने पर पूरी पीठ एकमत थी | सुप्रीम कोर्ट अपना फ़ैसला सुनाते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया है | हालांकि, कोर्ट ने समलैंगिकों के हितों के संरक्षण की वकालत भी की, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि विवाह मौलिक अधिकार नहीं है, इसलिए विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को गैर कानूनी माना जाएगा | कोर्ट कानून नहीं बना सकता केवल उनकी व्याख्या कर सकता है | और विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है | केंद्रीय कानून के अभाव में राज्य भी कानून बना सकते है | संविधान पीठ ने इससे जुड़ी 21 याचिकाओं पर 10 दिन की सुनवाई के बाद 11 मई को फ़ैसला सुरक्षित रखा था | संविधान पीठ ने समलैंगिक दंपत्ति को बच्चा गोद लेने को भी कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है | कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़ो को सामान्य अधिकार देने के अध्ययन के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में पैनल बनें | कोर्ट ने कहा कि इनके संयुक्त बैंक खाते खोले जाएं और बीमा पॉलिसी में भागीदारी नियुक्त करें | सीजेआई ने कहा कि समलैंगिकता शहरों तक सीमित नहीं है, गांव में भी समलैंगिक हो सकते हैं | शहर में अंग्रेजी बोलने वाला पुरुष और गांव में खेत में काम करने वाली महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है | विवाह की कोई सार्वभौमिक अवधारणा नहीं है, नियमों के कारण इसे कानूनी संस्था का दर्जा मिल गया है | संस्थागत सीमाओं के कारण सुप्रीम कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट को रद्द नहीं कर सकता | यह विधायिका का नीतिगत मामला है इससे अदालत को दूर रहना होगा |      

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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