भोपाल : 21/10/2023 : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की यह परंपरा रही है कि चुनावो मे फिर वह लोक सभा का हो या विधान सभा का पार्टी उम्मीदवारो की सूची नामांकन के ठीक पहले जारी की जाती रही है | लेकिन अब उसकी नीति मे परिवर्तन आया है | पाँच राज्यो के चुनावो मे सूची जल्दी जारी कर दी गई, मगर भाजपा ने बाजी मार ली | उम्मीदवारों के चयन मे भी कांग्रेस ने साहस का परिचय देते हुए टिकट के दावेदार विधायकों के नामों पर कैंची चला दी | पार्टी ने दुस्साहसी कदम यह उठाया कि भाजपा से आए नेताओं को न केवल तवज्जोह दी, बल्कि उन्हें प्रदेश की उन सीटों पर टिकट दिया जहां पर पार्टी के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता – नेता चुनाव लड़ने के इच्छुक थे | ऐसा नहीं है कि कांग्रेस खतरे को नहीं भांप रही थी, आला कमान को यह आभास था कि आयतित नेताओं को टिकट दिया तो असंतुष्टों का हंगामा निश्चित है | इसके बावजूद पार्टी ने यह जोखिम उठाई | जैसा कि अनुमान था टिकट विवरण से नाराज़ कांग्रेसियों ने न केवल इस्तीफे दिए, बल्कि दिग्विजय सहित अन्य नेताओं के पुतले भी फूंके, प्रदेश कार्यालय के बाहर नारेबाजी की, अपने कपड़े फाड़े, प्रदर्शन किया | वैसे दिग्विजय सिंह ने “डेमेज कंट्रोल” की ज़िम्मेदारी ली है | लेकिन बागियों के तेवर देखकर ऐसा नहीं लगता कि वे शांत हो जाएंगे | यहाँ भोपाल की सातों सीटों पर भी थोड़ा बहुत असंतोष है, मगर सबसे ज़्यादा मामला दक्षिण– पश्चिम सीट पर है | जहां से पूर्व मंत्री पीसी शर्मा को टिकट दिया गया है | इस क्षेत्र में इंजीनियर संजीव सक्सेना टिकट के दावेदार थे और वे महीनों से ज़मीन तैयार करने में लगे थे | सक्सेना को टिकट नहीं मिलने से उनके समर्थकों ने भारी नाराजगी जताई | सूत्रों का कहना है कि संजीव सक्सेना निर्दलीय भी लड़ सकते हैं, हालांकि यह कयास ही है, लेकिन ऐन वक्त पर भी कुछ भी हो सकता है | भाजपा ने अभी दक्षिण पश्चिम में अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है | वैसे उमा शंकर गुप्ता को लेकर पेंच फंसा हुआ है |
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