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मिठाइयों की खरीद फरोख्त करते समय उन्हें जांच लें कि कितने दिन पहले बनाई गई हैं, क्योंकि, दूध से बनी 2 दिन, मावे से बनी 4 दिन, ड्रायफ्रूट की बनी 7 दिन तक चलती हैं |

भोपाल : 09/11/2023 : दीपावली हो या फिर कोई ओर त्यौहार, मिठाइयां तो त्यौहार की जान होती हैं, सभी वर्ग के लोग मिठाइयों का सेवन बड़े चाव से करते हैं | ऐसे में अगर हम  ज़्यादा दिन रखी मिठाई खाते हैं तो हमारी सेहत को नुकसान पहुंचता है | कभी भी दुकानों से मिठाइयां खरीदते समय दुकानदार से ये ज़रूर पूछ लें कि मिठाई कब बनी है | ताकि हम अपनी सेहत को नुकसान से बचा सकें | दरअसल, त्यौहारी सीजन में दूध व मावे से बनी मिठाइयों की मांग अधिक रहती है, ड्रायफ्रूट्स से बनी मिठाइयों की खरीद फरोख्त भी बढ़ जाती है | शहर के कई बड़े दुकानदार बंगाली मिठाइयां  भी बना रहे हैं | लेकिन मिठाई की लाइफ लाइन बहुत कम रहती है और कई दुकानदार उपभोक्ता को ताज़ी बनी मिठाई बताकर बेच देते हैं | नियमानुसार हर दुकानदार को मिठाई बनाने की डेट और एक्सपायर डेट डिस्प्ले करना भी ज़रूरी है, लेकिन ऐसा नहीं होता है | भोपाल में 10 दिन के अंदर करीब 500 क्विंटल से अधिक मावे की खपत हो जाती है | यदि आप मिठाई खरीद रहे हैं तो याद रहे कि दूध से बनी मिठाई की लाइफ सिर्फ दो दिन की है, मावे से बनी मिठाई 4 दिन तक चलती है वहीं ड्रायफ्रूट्स से बनी मिठाई का सेवन हम 7 दिनों तक कर सकते हैं | बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू और बूंदी के लड्डू की लाइफ 4 से 6 दिन होती है | खाद्द सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि गुलाब जामुन और रसगुल्ले की लाइफ 5 दिन होती है | अगर कहीं भी एक्सपायर मिठाई पाई जाती है तो उस दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाती है | गौरतलब है कि तीन साल पहले एफएसएसएआई द्वारा लागू की गई व्यवस्था का मतलब था कि उपभोक्ताओं को ताज़ा मिठाई मिले | नियम है कि दुकानदार मिठाई की ट्रे पर सही तारीख लिखे इसकी जांच के लिए खाद्द अमला औचक निरीक्षण करे, शिकायत मिलने पर सैंपलिंग करने व सैंपल फेल होने पर दुकानदार का लायसेंस रद्द कर दिया जाता है |  

 

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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