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विभाग ने फूड लैब में लंबित पड़े सैंपलों की जांच के लिए निजी लैब से ली मदद, फिर भी समय पर नहीं मिली रिपोर्ट |

भोपाल : 13/12/2023 : प्रदेश में फूड सेफ़्टी ऑफिसर की संख्या लगभग 158 है, हर इंस्पेक्टर को चार लीगल सैंपल ( जिनके फेल होने पर कोर्ट में प्रकरण दर्ज किया जाता है ) व 25 सर्विलांस सैंपल लेने होते हैं | हर साल करीब 4 हज़ार सैंपल जांच के लिए आते हैं, लेकिन सर्विलांस सैंपलों की जांच में कई बार तीन से चार महीने लग जाते हैं | हर समय 1 हज़ार से अधिक सैंपलों की जांच लंबित रहती है | इसी तरह से ड्रग लैब में जांच के लिए हर साल 1500 से 2 हज़ार सैंपल आते हैं | लेकिन जांच करीब 1200 सैंपल की ही हो पाती है | दवाओं की जांच के बाद कई दवाएं अमानक पाई जाती हैं | पर जांच होने तक 60 फीसदी से अधिक दवाएं बंट चुकी होती हैं | ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जब एक्सपायरी के एक-दो महीने पहले रिपोर्ट आई है | इस मामले में अब विभाग भी फूड लैब में सैंपलों की जांच के लिए निजी लैब की मदद ले रहा है | नतीजतन एक-एक जांच के लिए 15 दिन से दो महीने तक का इंतज़ार करना पड़ रहा है | जनवरी से अब तक 4 हज़ार से अधिक फूड सैंपल लिए गए, पेंडेंसी निपटाने के बाद विभाग ने 6 निजी लैब से अनुबंध किया है | बावजूद इसके रिपोर्ट आने में देरी हो रही है | खाद्द और औषधि प्रशासन ने जांच के लिए सैंपल मुंबई और गुजरात भी भेजे हैं | गौरतलब है कि जिन 2 हज़ार सैंपलों को निजी लैब में जांच के लिए भेजा था, उनमें से 1500 की रिपोर्ट ऑनलाइन आ गई है | लेकिन जिन 2 हज़ार सैंपलों की जांच राज्य की फूड लैब में चल रही थी, उनकी जांच रिपोर्ट जनरेट नहीं हो पाई है | नतीजतन एक रिपोर्ट के लिए जहां लोगों को 4 महीने का इंतज़ार करना पड़ता था वहीं अब 15 दिन का इंतज़ार करना पड़ रहा है | वहीं दूसरी तरफ विभाग की लापरवाही के चलते 19 सैंपल में फंगस लग गई और वह खराब हो गए | जिन्होने सैंपल किया है वह भी उकता चुके हैं |  

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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