इंदौर : 23/12/2023 : मोती तबेला में रहने वाली महिला का निकाह 2011 में उज्जैन के युवक से हुआ था, 2012 में दोनों को बेटी हुई | संयुक्त परिवार था, घर भी ज़्यादा बड़ा नहीं था इस कारण महिला को पति के साथ ड्राइंग रूम में रहना पड़ता था | एक दिन पत्नी ने पति से कहा मुझे घर में एक अलग कमरा चाहिए उसकी इस बात से नाराज़ पति ने झगड़ा शुरू कर दिया | इस बात को लेकर कई बार झगड़ा हुआ दो साल तक भी जब पत्नी को अलग कमरा नहीं मिला तो उसने फिर पति से कहा तो पति ने पत्नी को मायके छोड़कर उसे तीन तलाक दे दिया | नवंबर 2018 में महिला ने फैमिली कोर्ट में पति के खिलाफ केस लगाया, पत्नी पांच साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी | पाँच साल बाद कोर्ट ने महिला के हित में फैसला करते हुए कहा कि संयुक्त परिवार में अलग कमरा मांगने का हक़ हर महिला का है, शरीयत भी इस बात की मंजूरी देता है | इसलिए सिर्फ इस आधार पर तलाक लेने का हक़ पति को नहीं दिया जा सकता | कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि पत्नी को साथ रखना होगा क्योंकि, पति ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन 2017 के अनुसार तीन तलाक लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है | इसलिए तलाक को अवैध मानते हुए पत्नी को दो महीने के भीतर घर लाने के लिए पति को आदेश दिए |
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