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बिलकिस बानो के गुनहगारों को गुजरात सरकार द्वारा दी गई जमानत को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों को दो सप्ताह के अंदर सरेंडर करने के दिए आदेश |

नई दिल्ली : 09/01/2024 : बिलकिस बानो अपने साथ हुए दुराचार के लिए 6 साल तक लड़ी उनका यह संघर्ष अब जाकर खत्म हुआ है अब 17 माह बाद दोषियों को दोबारा जेल पहुंचाने में वह सफल हुई | दरअसल यह मामला 2002 के गुजरात दंगों से जुड़ा है, 28 फरवरी की रात उग्र भीड़ ने बिलकिस के घर पर हमला कर दिया था | बिलकिस तब 5 महीने की गर्भवती थीं | भीड़ ने, बिलकिस उनकी मां और चचेरी बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया | बहन के दो दिन के बेटे को पटक कर मार डाला बिलकिस की चाची, चचेरे भाई-बहनों सहित 7 लोगों की हत्या कर दी | उसके बाद बिलकिस ने कानूनी लड़ाई लड़ना शुरू की, इस मामले को सुनवाई के लिए गुजरात से महाराष्ट्र की सीबीआई कोर्ट में भेजा गया कोर्ट ने 2008 में 11 आरोपियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई, लेकिन 14 साल बाद गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहाई दे दी | रिहाई के बाद बिलकिस ने फिर दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए संघर्ष किया और 14 माह बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस के गुनहगारों की सजा माफी के गुजरात सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने सभी दोषियों को दो सप्ताह के अंदर-अंदर सरेंडर करने के आदेश दिए हैं | कोर्ट ने कहा कि रिहाई का हक़ गुजरात सरकार का नहीं था, क्योंकि दोषियों को महाराष्ट्र की कोर्ट ने सज़ा दी थी | गुजरात सरकार को महाराष्ट्र सरकार से रिहाई की मंजूरी लेनी चाहिए थी, दोषी और गुजरात सरकार ने हमसे यह तथ्य छिपाए | यह कोर्ट के साथ धोखाधड़ी का एक उदाहरण है | जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि एक महिला को समाज कितना भी कम आंके या वह किसी भी धर्म की हो, पर कानून की नज़र में वह सम्मान की हकदार है | कोर्ट ने ये भी कहा कि बिलकिस के दोषियों की भावनात्मक अपील वाले तर्क आकर्षक लग सकते हैं, पर तथ्य परखें तो सच्चाई सामने आ ही जाती है | सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बिलकिस ने कहा कि सच पूछो तो मैं इस इंसाफ के बारे में कुछ ऐसा महसूस कर रही हूं जैसे मेरे सीने से पत्थर का एक भारी पहाड़ हट गया और मैं सांस लेने लगी हूं |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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