भोपाल : 11/01/2024 : शहरों में सिर्फ 5 मिनिट और गांवों में अधिकतम 30 मिनिट के अंदर-अंदर पुलिस पहुंचने के दावे झूठे साबित हो रहे हैं, ग्रामीण क्षेत्रों की तो बात छोड़िए शहरी क्षेत्रों में भी डायल 100 देरी से पहुँच रही है | अपराध, हादसे और आपदा में लोगों को तत्काल मदद पहुंचाने के लिए शुरू की गई फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल (एफआरवी) डायल 100 की लेटलतीफी लोगों पर भारी पड़ रही है | डायल 100 कहीं तो पहुंचती ही नहीं और कहीं इतनी देर में पहुंच रही है जब तक तो घटना हो चुकी होती है | लेटलतीफी के कारण कई बार लोगों की जान तक संकट में पड़ जाती है | डायल 100 की लेटलतीफी का एक कारण ये है कि जिस कंपनी को काम दिया गया उसका कांट्रैक्ट टाइम पूरा हो चुका है | 3 साल से कंपनी एक्सटेंशन पर चल रही है | 2015 में प्रदेशभर में एक हज़ार वाहन लगाए थे, लेकिन अब आधे से ज़्यादा कंडम हो चुके हैं, या फिर सड़क पर चलने की हालत में ही नहीं हैं | फिर भी कंपनी को हर महीने 10 करोड़ रु. से अधिक की राशि सरकार द्वारा दी जा रही है | कंडम वाहनों की जगह नए वाहन नहीं लाए गए, कंपनी को एक्सटेंशन मिले, वाहनों की क्वालिटी पर ध्यान नहीं दिया गया | टेंडर शर्त में वाहनों से रिप्लेसमेंट की स्पष्ट नीति नहीं थी, लिहाजा कार्रवाई नहीं हुई | आबादी बढ़ने के साथ ही कॉल की संख्या भी बढ़ी, पर इसके हिसाब से कॉल सेंटर सॉफ्टवेयर और वाहन अपडेट नहीं हुए | डायल 100 की टेंडर प्रक्रिया दो बार रद्द हुई, पुलिस निजी कंपनी पर निर्भर है | यही कारण है कि डायल 100 पटरी से उतर चुकी है |
|