भोपाल : 12/01/2024 :( नुजहत सुल्तान ) यूं तो भोपाल अपनी सुंदरता के लिए काफी चर्चित है, यहाँ बाहर देशों के लोग घूमने के लिए आते हैं यहां राजा-महाराजा के जमाने की भी बहुत सी ऐसी जगाहें मौजूद हैं जिन्हें आज भी सहेजकर रखा गया है | लेकिन भोपाल शहर स्वच्छता के मामले में अब भी इंदौर शहर से पीछे है | भोपाल और इंदौर की रैकिंग को अगर देखा जाए तो मेहज कचरे के रीयूज और पब्लिक टॉयलेट में सफाई में भोपाल पीछे है | इंदौर जहां छह तरह के कचरे को छांट रहा है वहाँ भोपाल मेहज गीला व सूखा कचरा ही अलग करने में असफल नज़र आ रहा है | इंदौर की स्वच्छता का एक कारण ये भी माना गया है कि वहाँ के रहवासियों ने स्वच्छता को शहर के गौरव से जोड़ दिया है | भोपाल में फ्लोटिंग पॉपुलेशन अधिक होने से इंदौर जैसे अपनेपन की कमी नज़र आती है | भोपाल से ऊपर स्वच्छता के मामले में मेहज चार शहर ही हैं, इंदौर, सूरत, नवी मुंबई और विशाखापट्टनम, इन शहरों की तुलना में भोपाल में संसाधन और बजट की कमी है, भोपाल का स्वच्छता का बजट 100 करोड़ के आसपास है वहीं इंदौर इससे तीन गुना खर्च कर रहा है | भोपाल के पास घरों घर जाकर कचरा उठाने के लिए और रोड स्वीपिंग के लिए 700 से अधिक गाड़ियां हैं | 12 ट्रांसफर स्टेशन हैं, लेकिन कचरा कलेक्शन की स्थिति नहीं सुधर रही | सड़कों और कॉलोनियों के खाली प्लाटों पर कचरा संकेत है, कि कचरा कलेक्ट नहीं हो रहा है | भोपाल शहर में रोजाना 2 लाख से अधिक लोग दूसरे शहरों से आते और बाज़ारों में जाते हैं तो तरह-तरह का कचरा बढ़ता है | सार्वजनिक स्थानों पर लिटर बिन कम होने का नतीजा यह है कि यह कचरा सार्वजनिक जगहों पर पड़ा रहता है | सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए सख्ती भी जरूरी है, ई-अटेंडेंस के बावजूद कम से कम 50% कर्मचारी वास्तविक रूप से काम नहीं कर रहे हैं | और कचरा फैलाने वाले नागरिकों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है | जो गाड़ियां कचरा कलेक्ट करने में लापरवाही बरत रही हैं उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए | भोपाल शहर को स्वच्छता के मामले में नंबर वन बनाने के लिए नागरिकों का सहयोग भी ज़रूरी है, नागरिक और कर्मचारी अपनी ज़िम्मेदारी सही ढंग से निभाए तो भोपाल भी स्वच्छता के लिए नंबर वन का अवार्ड हासिल कर सकता है |
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