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बसों के संचालन में नेतागिरी हावी है, प्रदेश में 50% बसें नेताओं की चलती हैं इसलिए मनचाहे रूट पर बिना फिटनेस बिना बीमा के सड़क पर दौड़ रही बसें |

भोपाल :18/01/2024 :( सैफुद्दीन सैफी)  गौरतलब है कि 28 दिसंबर को हुए गुना बस हादसे में 13 लोग जिंदा जलकर खाक हो गए थे, जिस बस में हादसा हुआ वह 15 साल पुरानी और अनफ़िट थी | इसके बाद भी वह सड़कों पर दौड़ रही थी | इसका मुख्य कारण है कि बस संचालक भानुप्रताप सिंह सिकरवार का भाई भाजपा का जिला पदाधिकारी है | इस संबंध में जब जांच की गई तो पता चला कि बसों के संचालन पर नेतागिरी हावी है | प्रदेश में 50% से अधिक बसों के मालिक भाजपा-कांग्रेस के नेता या उनके रिशतेदारों में से हैं | इनमें से कई बस ऑपरेटर तो भाजपा के पूर्व विधायक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष से लेकर तमाम तरह के पदों पर पदस्थ रहे हैं | इसी तरह कांग्रेस से जुड़े करीब दस बस ऑपरेटरों की बसें प्रदेश में सड़कों पर नियम विरुद्ध दौड़ रही हैं | भाजपा व कांग्रेस के नेताओं की बसें होने के कारण इन्हें मनचाहे रूट पर चलाने का परमिट भी आसानी से मिल जाता है | प्रदेश में परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज बसों में से 19 हज़ार का संचालन शैक्षणिक संस्थानों में होता है, बाकी जो बसें यात्रियों  के लिए हैं,  उनमें से 9 हज़ार से अधिक बसें नेताओं की हैं | इनमें भी 45% से अधिक बसों का संचालन भाजपा व 5% का कांग्रेस से जुड़े लोग कर रहे हैं | इन्हीं बसों में फिटनेस, परमिट और बीमा न होने की शिकायतें मिली हैं | सड़क परिवहन निगम कर्मचारी कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि मप्र राज्य परिवहन निगम को 2010 में यह कहते हुए बंद कर दिया कि इससे सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान हो रहा है | इसके बाद निजी बसों की संख्या बढ़ती गई, लेकिन इन्हीं रूट पर निजी ऑपरेटर फायदे में हैं | सड़कों पर दौड़ रही बसें नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, बसों में आम आदमी के लिए न किराया सूची है और न ही नेम प्लेट ड्राइवर कंडक्टर वर्दी भी नहीं पहनते हैं | बसों में डबल गेट नहीं, इमरजेंसी एग्जिट भी खराब मिले | इस संबंध में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह से बात की गई तो उनका कहना है कि हमारा प्रयास है कि सभी जिलों में ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर शुरू हो सकें, स्टाफ पूरा करने के लिए रिव्यू करेंगे |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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