भोपाल : 26/01/2024 : राजधानी में बीआरटीएस के निर्माण में करीब 6 करोड़ से अधिक पैसा खर्च किया गया था और अब इस कॉरिडोर को हटाने की कार्रवाई चल रही है | इसी तरह जनता के पैसे का कई तरह से दुरुपयोग किया गया है | शहर में कई ऐसे स्मारक बनाए गए हैं जिनसे जनता को कोई फायदा नहीं मिल रहा केवल पैसों की बर्बादी हुई है | भोपाल में डेवलप के नाम पर पिछले कई सालों में 1175 करोड़ के ऐसे प्रोजेक्ट आए जिन पर भरपूर पैसा तो खर्च हुआ लेकिन शहरवासियों को इनसे कोई सुविधा नहीं मिली | कई स्मारक शहरवासियों की उम्मीद पर खरे नहीं उतरे | केंद्र और राज्य सरकार से मिलाकर 1000 करोड़ रु. से आई स्मार्ट सिटी के तो लगभग सभी प्रोजेक्ट फ़ेल हो गए | स्मार्ट स्ट्रीट से लेकर स्मार्ट डस्टबिन तक और आर्च ब्रिज से लेकर फ्लोटिंग फाउंटेन तक दर्जनों ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जिन पर जनता की मोटी कमाई का पैसा बर्बाद किया गया है | आज से करीब 7 साल पहले स्मार्ट स्ट्रीट का निर्माण शुरू हुआ, यहां फूड ज़ोन के साथ पॉपअप कैफे और पॉपअप रिटेल डेवलप किया जाना था, लेकिन इन सबको भूलकर यहां सफ़ेद टेंटनुमा एक आकृति पिछले तीन साल से लगा दी गई है, दो साल पहले बारिश में यह टेंट गिर भी गए थे | कुछ शेड मेट्रो स्टेशन के पीछे छुप गए हैं, इनका उपयोग मजदूरों के ठहरने के लिए हो रहा है | इसी तरह स्मार्ट सिटी में व्यापारियों ने दुकानें तो खरीद लीं, लेकिन बिल्डिंग का निर्माण पूरा नहीं होने से स्मार्ट सिटी उन्हें पजेशन नहीं दे रही नतीजा व्यापारी परेशान हैं | इसी तरह कई प्रोजेक्ट आए तो लेकिन उनसे जनता को कोई लाभ नहीं मिला | स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया 300 करोड़ की लागत से इंटिग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर इससे शहर की सभी सुविधाओं और सेवाओं को मॉनिटर किया जाना था, लेकिन कोरोना के बाद पेमेंट को लेकर हुए विवादों के बाद यह भी बंद हो गया | इसी तरह 4 करोड़ रु. से बना भोपाल प्लस एप भी बंद है, इसी तरह 25 लाख के महीला हॉकर्स कॉर्नर, और 25 लाख के स्मार्ट पोल भी बेकार पड़े हैं |
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