भोपाल : 26/01/2024 : दो लाख वर्गफीट से बड़े हर कंस्ट्रक्शन के लिए पर्यावरण मंजूरी आवश्यक है, बावजूद इसके मप्र के 7 में से 5 शहरों ने बिना पर्यावरणीय मंजूरी के ही निर्माण शुरू कर दिए | स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 7 शहरों में करीब 4042 करोड़ रु. खर्च किए जा चुके हैं | भोपाल और सतना को छोड़ बाकी शहरों ने मंजूरी के लिए आवेदन ही नहीं दिया | जबकि नियमानुसार बड़े प्रोजेक्ट जैसे बिल्डिंग, नदी, नहर, पक्की सड़कें, हाइवे आदि के निर्माण के लिए सिया की मंजूरी ज़रूरी है | बिना एन्वायर्नमेंट क्लीयरेंस इंदौर को तो 2022 में बेस्ट स्मार्ट सिटी का तमगा मिल गया | उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर और सागर ने भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले स्टेट एन्वायर्नमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) से पर्यावरण संबंधी मंजूरी नहीं ली | एरिया बेस्ट डेवलप हो या पैन सिटी, दोनों में सिया की मंजूरी इसलिए ज़रूरी है कि अनुमान लग सके कि इन प्रोजेक्ट्स से पर्यावरण को कितना नुकसान होगा, और इसकी क्षतिपूर्ति कैसे की जाएगी | इसी के आधार पर क्षतिपूर्ति योजना तैयार की जाती है | प्रोजेक्ट एरिया के पशु-पक्षी और पेड़ों की जानकारी तक नहीं दी, मास्टर प्लान और लैंडयूज़ की रिपोर्ट भी नहीं दी गई | जिन्होने मंजूरी नहीं ली है वह खुद आवेदन कर दें कि उन्होने नियम का उल्लंघन किया है तो प्रोजेक्ट लागत का आधा प्रतिशत जुर्माना लगेगा | अगर जांच के बाद मामला सामने आएगा तो प्रोजेक्ट लागत का 1% जुर्माना लगाया जाएगा | हालांकि अभी कोर्ट ने खुद से जुर्माने की कार्रवाई पर रोक लगाई है, केंद्र के कुछ प्रोजेक्ट में छूट रहती है पर स्मार्ट सिटी इसमें नहीं है |
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