भोपाल : 09/02/2024 :( नुजहत सुल्तान ) ग्रामीण इलाकों में स्ट्रीट डॉग्स के आतंक से सबसे बड़ी दिक्कत नगर-निगम सीमा से लगी कॉलोनियों के रहवासियों को हो रही है, इन इलाकों के रहवासी अधिक परेशान हैं | होशंगाबाद रोड, रायसेन रोड, सीहोर रोड, बैरसिया रोड और कोलार रोड पर ग्राम पंचायत सीमा में बनी कॉलोनी के रहवासी सबसे ज़्यादा परेशान हैं | ग्रामीण क्षेत्रों में बनी दर्जनों कॉलोनियां ऐसी हैं जहां रहवासियों की न तो शिकायत सुनी जा रही है और न ही उस पर किसी तरह की कार्रवाई हो रही है | कोलार से लगी इसी तरह की एक कॉलोनी आईबीडी हॉल मार्क सिटी में तो बच्चों और बुजुर्गों ने घर से निकलकर घूमना ही बंद कर दिया | स्ट्रीट डॉग्स की बढ़ती संख्या रहवासियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है | आए दिन डॉग आते जाते लोगों के पीछे दौड़ने लगते हैं | शहर के अन्य इलाकों में डॉग बाइट के मामले सामने आने के बाद से ग्रामीणों में काफी भय का माहौल है | स्ट्रीट डॉग की बढ़ती संख्या को देखते हुए रहवासियों द्वारा जब नगर-निगम से इन्हें उठाने के लिए शिकायत की गई तो जवाब मिला कि आपकी कॉलोनी निगम सीमा में नहीं है | फिर जब पंचायत में संपर्क किया गया तो उन्होने भी इन्हें पकड़ने में असमर्थता जताई | ऐसे में नागरिकों के सामने दिनों दिन बढ़ते जा रहे स्ट्रीट डॉग्स बड़ी समस्या का सबब बने हुए हैं | यहां 800 से अधिक परिवार स्ट्रीट डॉग की समस्या के कारण बीते दो महीने से परेशान हैं | ग्रामीण इलाकों में घूमने वाले कुत्तों की नसबंदी तक नहीं कराई गई है, उनके वेक्सीनेशन की भी कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती | हालांकि शहरी इलाकों में स्ट्रीट डॉग्स को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसका भी कोई असर नहीं | यहां एक महीने में डॉग बाइट के 30 मामले सामने आ चुके हैं, बावजूद इसके जिला पंचायत के अधिकारियों के पास स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने के लिए व्यवस्था तो छोड़िए कोई प्लानिंग तक नहीं है | अफसरों का कहना है कि फिल्हाल इसकी जरूरत महसूस नहीं हुई है, भविष्य में आवश्यकता अनुसार योजना बनाएंगे |
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