भोपाल : 10/02/2024 : मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉंजिस्टिक कॉर्पोरेशन में 10 सालों से कार्यरत 2200 श्रमिकों के साथ अफसरों ने धोखाधड़ी की है, इतनी सालों तक सेवा करने के बाद उन्हें नियमित करने के बजाय आउटसोर्स कंपनी का कर्मचारी बना दिया गया है | नतीजा यह हुआ कि इन कर्मचारियों का वेतन बढ़ने के बजाय घट गया | इस मामले में अफसरों की मिलीभगत के चलते मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉंजिस्टिक कॉर्पोरेशन के अफसरों ने कर्मचारियों को जिस निजी कंपनी आरबी एसोसिएट्स के सुपुर्द कर दिया है, उसे प्रति कर्मचारी 13 हज़ार रु. का भुगतान किया जा रहा है | इस हिसाब से पिछले 15 महीनों में कंपनी कर्मचारियों की मेहनत की कमाई में से 11 करोड़ 74 लाख रु. कमीशन के निकाल चुकी है | जिस आरबी एसोसिएट्स को कर्मचारियों का जिम्मा दिया गया है उसके साथ हुए एग्रीमेंट में कहीं भी कमीशन और वेतन का जिक्र तक नहीं है | यानी वेतन -ईपीएफ का निर्धारण आरबी एसोसिएट्स के कर्ताधर्ताओं ने अपने हिसाब से कर लिया है | एग्रीमेंट में 24% ईपीएफ का उल्लेख है | लेकिन कर्मचारीयों का कहना है कि उनका ईपीएफ खाते में उतना जमा नहीं किया जा रहा है | इतना ही नहीं एग्रीमेंट में एक पॉइंट ये भी लिखा है कि कर्मचारी का काम संतोषजनक नहीं हुआ तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा | यानी उसकी नौकरी हमेशा ही संकट में रहेगी | इस संबंध में कर्मचारी नेता अशोक पांडे और अनिल बाजपेयी का कहना है कि पूरे मामले में कर्मचारी कॉर्पोरेशन को पहले ही आउटसोर्स न करने के लिए पत्राचार करते रहे हैं, इसके बाद भी कर्मचारियों को आउटसोर्स कर दिया गया | इससे कर्मचारियों को कई शासकीय सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा | और उनके अधिकारों का हनन होगा | श्रमिकों की भर्ती अधिक वेतन का लालच देकर की गई, लेकिन वेतन उन्हें पुराना ही दिया गया | इस तरह निजी कंपनी से सांठगांठ कर लाखो रु. की कमाई की गई | कर्मचारियों को जब अपने साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला तो उन्होने आरबी एसोसिएट्स के खिलाफ श्रम आयुक्त और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई | कर्मचारियों का कहना है कि जब शासन द्वारा ईपीएफ और अन्य सुविधाएं दी जा सकती हैं तो निजी कंपनी को ठेका क्यों दिया जा रहा है ? इससे उन्हें मिलने वाला लाभ कंपनी को मिल रहा है |
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