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हनीट्रैप व मानव तस्करी के मामले में एसआईटी ने गवाह पेश नहीं किए धीमी जांच के चलते पीड़िता भी बयान से मुकरी |

भोपाल : 23/2/2024 :( नुजहत सुल्तान )  हनीट्रैप  मामले का मूल केस इंदौर के पलासिया थाने में 17 सितंबर 2019 को और भोपाल में इसी से जुड़ा मानव तस्करी का केस 24 सितंबर 2019 को दर्ज हुआ था | पीड़िता ने सीआईडी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, कि आरोपी महिलाओं ने उसे रसूखदारों के यहां भेजकर आपत्तीजनक वीडियो बनाए और उन लोगों से वसूली की गई | पीड़िता ने कई प्रभावशाली लोगों के नाम पुलिस को बताए थे | इस मामले में एसआईटी 16 लोगों के बयान दर्ज करा चुकी है | इनमें 8 रसूखदारों को आरोपी बनाया है | कोर्ट ने इस संबंध में त्वरित सुनवाई के निर्देश दिए फिर भी केस सेशन कोर्ट में अटका है | एसआईटी की जांच पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि साढ़े तीन साल से वह इस केस के सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर पाए हैं | धीमी जांच के चलते सबूतों में देरी होने के कारण पीड़िता ही बयान से मुकर गई उसने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया है | पीड़िता और आरोपियों के बीच हुई बातचीत को कोर्ट में साबित करने के लिए टेलिकॉम के नोडल अधिकारी की गवाही करानी थी, लेकिन उस दिन सरकारी वकील छुट्टी पर थीं | इससे नाराज कोर्ट ने साक्ष्य का अवसर ही खत्म कर दिया | यह सुनवाई इसलिए ज़रूरी थी क्योंकि इसी से एसआईटी यह बात साबित कर सकती थी कि पीड़िता और आरोपियों के बीच पहचान थी, और लंबी बातचीत होती थी | खास बात तो यह है कि इतने समय में 105 पेशियां हुईं लेकिन एसआईटी महत्वपूर्ण गवाह तक पेश नहीं कर पाई | इतना ही नहीं बल्कि एक भी ब्यूरोक्रेट और नेता के नाम रिकॉर्ड में नहीं लिए | इधर एसआईटी चीफ बदलने से भी केस पर असर पड़ा है | एसआईटी की लापरवाही के कारण आरोपियों को बचने का मोका मिल रहा है | एसआईटी इतने लंबे समय के बाद भी न ही गवाह पेश कर सकी, न ही चालान पेश हुए | आरोपियों की वॉइस सैंपल को लेकर एसआईटी ने कोर्ट में सीडी दिखाई थी, लेकिन वो भी नहीं चली, इससे सीडी में छेड़छाड़ की आशंका है | एसआईटी की लापरवाही के कारण बचाव पक्ष को मौका मिल रहा है |

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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