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जिंदा मजदूरों को मृत बताकर उन्हें दिए जाने वाले दो-दो लाख रु. का घोटाला करने के मामले में लोकायुक्त ने जांच के लिए निगमायुक्त से संदिग्ध फाइलें मांगी |

भोपाल : 23/2/2024 : नगर-निगम के ज़ोनल अधिकारियों द्वारा जिंदा मजदूरों को मृत बताकर उन्हें दिए जाने वाला पैसा हजम करने का मामला उजागर हुआ है | कर्मकार मंडल के तहत मृत घोषित किए गए मजदूर शिकायतें लेकर सीधे लोकायुक्त दफ्तर पहुंच रहे हैं | उसी के आधार पर अधिकारियों द्वारा मृत बताए गए मजदूरों को दिए जाने वाले दो-दो लाख रु. हजम करने वालों के खिलाफ लोकायुक्त नए सिरे से जांच शुरू करेगा |  यह पूरा मामला भ्रष्टाचार का है | जिसकी जांच करने में लोकायुक्त ही सक्षम एजेंसी है | ऐसे में खुद निगम आयुक्त को कार्रवाई के लिए थाने जाने के बजाय लोकायुक्त में ही प्रकरण भेजना था,  लेकिन अफसर इसमें भी मनमानी कर रहे हैं | सब कुछ जानते हुए भी कार्रवाई करने के बजाय जांच के नाम पर लापरवाही बरती जा रही है | क्योंकि शायद निगम के अफसर एफआईआर के लिए आवेदन देना ही बड़ी कार्रवाई मान रहे हैं | यही कारण है कि सस्पेंड जेडओ, वार्ड प्रभारियों और लिपिकों पर अब तक केस दर्ज नहीं हो सका है | सख्त कार्रवाई करने में लगातार सुस्ती दिखाने वाले अफसरों को लेकर जब नगर-निगम कमिश्नर फ्रेंक नोबल-ए से संपर्क किया गया तो उन्होने भदभदा में अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई का हवाला देते हुए जांच समिति प्रमुख अपर आयुक्त निधि सिंह से संपर्क करने को कहा | जब निधि सिंह से इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना था कि ज़ोनल अधिकारियों को अपने-अपने ज़ोन से जुड़ी संदिग्ध फाइलें जमा कराने के लिए कहा गया था | जुलाई 2023 में जांच अधिकारियों के सामने कुल 90 संदिग्ध फाइलें आई थीं | जिनकी मूल नस्तियां ज़ोनल अधिकारियों से मंगाई गईं थीं | सिर्फ 37 फाइलें ही मिल पाई थीं, तब अफसरों द्वारा उन्हीं 37 फाइलों की जांच कर खानापूर्ती कर ली गई थी | गायब 53 फाइलों के लिए किसी की ज़िम्मेदारी तय नहीं की गई | उसी तरह अब भी कई फाइलें गायब हैं, अब तक जो भी फाइलें मिली हैं उनके आधार पर हितग्राहियों के घर पहुंचकर जांच की जा रही है | जांच पूरी होने के बाद उसे निगम आयुक्त के सामने रखेंगे | इसके बाद जो भी निर्देश निगम आयुक्त देगा उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी |    

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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