ग्वालियर : 28/2/2024 : मंगलवार को हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर सुनवाई हुई | 45 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान नगरीय प्रशासन विभाग के कार्यपालन यंत्री राकेश रावत डिवीजन बेंच के अधिकतर सवालों के जवाब देने में असमर्थ रहे | इस लापरवाही के कारण जस्टिस रोहित आर्य ने नाराजगी जताते हुए अफसरों के खिलाफ तल्ख टिप्पणियां कीं, उन्होने अफसरों के लिए नालायक, डफर और अनपढ़ जैसे शब्दों का उपयोग किया | जस्टिस आर्य ने कहा कि साहब आप भोपाल से आए हो टीए-डीए लेकर जो दस्तावेज़ थमाया उसके आधार पर शपथ पत्र दे दिया | तुम्हें पढ़ना चाहिए था, इंजीनियर हो कि अनपढ़ हो ? अपर आयुक्त विजयराज को हटाकर तुम्हें प्रभारी अधिकारी बनाया | किसी लायक समझा होगा ना तुमको कि तुम भी उतने ही नालायक हो ? समझा नहीं पा रहे हो, ये नाम के इंजीनियर हैं | सब भूल गए भोपाल में बैठकर अपने प्रशासन को बोलिए कि डफर को नहीं भेजें | कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी से भी कहा कि मिस्टर मोदी आप इनके साथ घर पर बैठकर होमवर्क क्यों नहीं करते ? सरकारी काम है तो ऐसे ही चलेगा क्या जब आदेश लिखा जाता है तो कुछ उद्देश्य होता है | दो दिन पहले बुलाओ, समझो क्या है | होमवर्क कोर्ट में होगा हम आपको सपोर्ट करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि कोई काम नहीं होगा | हमारी ऑर्डर शीट वेस्ट ऑफ पेपर नहीं है | जो लिखाते है कुछ सोचकर ही लिखाते हैं | कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 5 मार्च की सुनवाई में निगम के वे सभी अधिकारी मौजूद रहें, जिन्होने सीवर लाइन प्रोजेक्ट में सेवाएं दी हैं | कोर्ट का मानना है कि भोपाल से आया कोई भी अधिकारी सीवर नेटवर्क को इतने अच्छे तरीके से नहीं बता सकता जितने अच्छे से स्थानीय अधिकारी बता सकते हैं |
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