अजमेर : 01/03/2024 : मामला यह था कि अयोध्या में ढांचे के विध्वंस की पहली बरसी पर 5 व 6 दिसंबर 1993 को सूरत, कानपुर, सिकंदराबाद, मुंबई और लखनऊ की ट्रेनों में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे | दिल्ली में 1997 में हुए बम धमाके में पकड़े गए युवक ने बताया था कि धमाकों के पीछे अब्दुल करीम टुंडा का हाथ है | जो पाकिस्तान के कराची में रह रहा है | सीबीआई ने मामले में अब्दुल करीम टुंडा पर गंभीर आरोप लगाए थे | पुलिस ने 2014 में टुंडा को उस समय नेपाल बॉर्डर से दबोच लिया था, जब वह गैर-कानूनी तरीके से पाकिस्तान से भारत आया था | पहले उसे गाजियाबाद की जेल में रखा जहां से उसे अजमेर जेल शिफ्ट कर दिया गया | सीबीआई को उसके खिलाफ पूरक चार्जशीट पेश करनी थी, लेकिन दस साल तक इसके बगैर ही टुंडा के खिलाफ टाडा कोर्ट में केस चला | टुंडा अब 80 साल का हो चुका है | कई बम विस्फोट मामलों का आरोपी टुंडा अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम का करीबी माना जाता है | टुंडा को बम बनाने में महारथ हासिल है | उसे डॉ. बम के नाम से जाना जाता है | तीन साल पुराने सीरियल ब्लास्ट के मामले में अजमेर की टाडा कोर्ट के न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता ने बहुप्रतीक्षित फ़ैसला सुनाया | सीबीआई उसके खिलाफ टाडा, आइपीसी, रेलवे, आर्म्स एक्ट और विस्फोटक अधिनियम मामले में सबूत पेश नहीं कर सकी | इससे पहले टाडा कोर्ट ने 28 फरवरी 2004 को मामले में 16 दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी | बाद में कोर्ट ने चार को बरी कर दिया, और बाकी की सज़ा बरकरार रखी थी | दो आरोपी निसार अहमद और मोहम्मद तुफ़ैल फरार हैं | इस मामले में हमीद 10 जनवरी 2010 को गिरफ्तार हुआ था | इसके बाद इरफान अहमद गिरफ्तार हुआ | मुख्य आरोपी आजमगढ़ निवासी अब्दुल करीम टुंडा को सबूतों के अभाव में गुरुवार को बरी कर दिया गया | हमीद और इरफान को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है | अभियोजन पक्ष टुंडा को बरी करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा |
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